इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विदेश में किए गए अपराध पर अहम फैसला सुनाया. कोर्ट ने कहा कि सीबीआई को विदेशी हत्या मामले कि जांच के लिए राज्य सरकार से अनुमति लेने की जरूरत नहीं है.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विदेश में किए गए अपराध पर एक अहम फैसला सुनाया. कोर्ट ने कहा कि यदि कोई भारतीय नागरिक विदेश में अपराध करता है, तो उसकी जांच के लिए सीबीआई को राज्य सरकार से अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं है. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इसके लिए सीबीआई को केवल केंद्र सरकार से अनुमति लेने की जरूरत होगी, सीबीआई एक नोडल एजेंसी है और उसे अपराध की जांच के लिए सिर्फ केंद्र सरकार की अनुमति की आवश्यकता होती है. यह आदेश जस्टिस वी. के. बिड़ला और जस्टिस अरुण कुमार सिंह देशवाल की खंडपीठ ने मेरठ की कल्पना माहेश्वरी की याचिका पर दिया है.
इसी के साथ कोर्ट ने सीबीआई को निर्देश दिया कि वह मेरठ से ताल्लुक रखने वाली एक अमेरिकी लड़की की मौत की जांच करे. कोर्ट ने कहा कि जिस संदिग्ध परिस्थिति में लड़की की मौत अमेरिका में हुई है, उसकी जांच के लिए सीबीआई को राज्य सरकार से अनुमति लेने की जरूरत नहीं है.
CBI को राज्य से अनुमति लेना जरूरी नहीं
मेरठ के याचिकाकर्ता का कहना है कि उनकी बेटी अंशु माहेश्वरी की शादी सुमित बियानी से हुई थी. शादी के बाद दोनों अमेरिका चले गए जहां अंशु की संदिग्ध परिस्थिति में मौत हो गई. याचिकाकर्ता ने दहेज हत्या की आशंका जताते हुए मेरठ में एफआईआर दर्ज कराई थी. इसके बाद मेरठ पुलिस ने मामले की जांच के लिए इसे सीबीआई को रेफर कर दिया, लेकिन सीबीआई ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की.इसके जवाब में सीबीआई के वकील ज्ञान प्रकाश और संजय यादव ने कहा कि यह मामला यूपी में दर्ज है, इसलिए सीबीआई को जांच के लिए राज्य सरकार की अनुमति की जरूरत है.
कोर्ट ने दिया निर्देश
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि विदेशों में किए गए अपराध की जांच के लिए सीबीआई नोडल एजेंसी है. जिसका अर्थ है कि भारत से बाहर किए गए अपराध की जांच केवल सीबीआई कर सकती है. सीआरपीसी की धारा 188 के तहत यह प्रावधान है कि भारत के बाहर किए गए अपराध की जांच और मुकदमा केंद्र सरकार की अनुमति से हो सकता है. हालांकि राज्य सरकार ने सीबीआई को जांच की अनुमति दे दी है.कोर्ट ने सीबीआई को निर्देश दिया कि वह 15 दिन के भीतर मामले की जांच शुरू करे.