दिल्ली के अस्पतालों के लिए केंद्र सरकार ने खोला खजाना, एम्स और सफदरजंग का बजट बढ़ाया

दिल्ली में विधानसभा चुनाव के बीच केंद्र सरकार ने बजट में राजधानी के अस्पतालों के लिए खजाना खोल दिया है. दिल्ली में केंद्र सरकार के 5 प्रमुख अस्पताल हैं, इनमें राम मनोहर लोहिया (RML) को छोड़कर बाकी सभी अस्पतालों के बजट में बढ़ोतरी की गई है. सरकार ने दिल्ली एम्स का बजट 677 करोड़ रुपये बढ़ाया है जिसके बाद इतिहास में पहली बार ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस का बजट 5 हजार करोड़ के पार पहुंच गया है.

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पांच अस्पतालों के लिए 9821 हजार करोड़

दिल्ली में एम्स समेत सभी सरकारी अस्पतालों पर बहुत ज्यादा लोड रहता है और पूरे देश से मरीज यहां इलाज कराने आते हैं. यही वजह है कि अस्पतालों की सेवाओं को बेहतर बनाने के मकसद से बजट में इन अस्पतालों को विशेष ध्यान रखा गया है. पिछले दिनों नेता विपक्ष राहुल गांधी ने भी एम्स में इलाज के लिए आने वाले मरीजों से मुलाकात कर उनकी शिकायतें सुनी थीं. इसके बाद केंद्र और दिल्ली सरकार का बदइंतजामी का आरोप लगाते हुए निशाना साधा था.

अब बजट में केंद्र सरकार के अधीन आने वाले दिल्ली के पांच प्रमुख अस्पतालों के लिए 9821 करोड़ का बजट आवंटन किया गया है. इनमें सबसे ज्यादा 677 करोड़ का फंड एम्स को मिला है जिसके बाद अस्पताल का कुल बजट 5200 करोड़ के करीब हो गया है. इसी तरह सफदरजंग अस्पताल के बजट में भी 305 करोड़ की बढ़ोतरी की गई है. लेडी हार्डिंग को 50 करोड़, कलावती सरन अस्पताल को 3 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बजट आवंटित किया गया है. हालांकि आरएमएल अस्पताल के बजट में 150 करोड़ से ज्यादा की कटौती की गई है.

दवाओं और सेवाओं पर खर्च होगा पैसा

इसके अलावा आयुष मंत्रालय के अधीन आने वाले ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ आयुर्वेद के बजट में भी बढ़ोतरी की गई है. पिछले साल संस्थान का बजट 227 करोड़ रुपये था, जिसमें 24 करोड़ का इजाफा कर इस बार उसे 251 करोड़ रुपये कर दिया गया है. पिछले साल दिल्ली के इन अस्पतालों को 8932 करोड़ से ज्यादा रुपये का बजट दिया गया था, जिसमें इस बार करीब 900 करोड़ की बढ़ोतरी की गई है. इन पैसों के जरिए अस्पताल में सेवाओं का विस्तार किया जाएगा, साथ ही इन्फ्रास्ट्रक्चर को और मजबूत किया जाएगा.

इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में एम्स के अधिकारी ने बताया कि नए उपकरणों की खरीद के लिए सरकार से 650 करोड़ का फंड मांगा गया था, जिसे बजट में प्रस्तावित किया गया है. इसके अलावा बचे हुए फंड का इस्तेमाल सैलरी और महंगाई भत्ते में खर्च किया जाएगा. इसी के साथ बजट में मिलने वाले पैसे का इस्तेमाल दवाओं की खरीद, पेट्रोल, आउटसोर्स और सफाई कर्मचारियों की सैलरी के भुगतान में किया जाएगा. एम्स में कुछ नए ब्लॉक बनाए जाने हैं जिनमें सर्जिकल ब्लॉक से लेकर मदर चाइल्ड केयर ब्लॉक शामिल है. बजट में आवंटित फंड से इन सभी सुविधाओं पर फोकस किया जाएगा.

जीवन रक्षक दवाएं भी सस्ती

पिछले वित्त वर्ष में एम्स का कुल बजट 4523 करोड़ रुपये था जो इस बार 15 फीसदी के बढ़ोतरी के साथ 5200 करोड़ पहुंच गया है. इसी तरह पिछले साल सफदरजंग अस्पताल का बजट 1874 करोड़ था जिसे बढ़ाकर इस बजट में 2179 करोड़ किया गया है. आरएमएल का बजट पिछले साल 1610 करोड़ था जिसे इस बार कम करके 1458 करोड़ किया गया है. इसके अलावा इस बार बजट में 36 जीवन रक्षक दवाओं को पूरी तरह से ड्यूटी फ्री कर दिया गया है जिनका इस्तेमाल कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों के इलाज में किया जाता है. देश के सरकारी अस्पतालों में कैंसर डे केयर सेंटर बनाने का फैसला भी लिया गया है.

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