पोर्नोग्राफी के खिलाफ केंद्र सख्त, ऑनलाइन अश्लील कटेंट भेजना अवैध, हो सकती है सजा- लोकसभा में सरकार का जवाब

ऑनलाइन पोर्नोग्राफी के खिलाफ केंद्र सरकार सख्त तेवर अपनाने की तैयारी कर रही है और इसको लेकर कड़ी कार्रवाई कर सकती है. केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने आज बुधवार को लोकसभा में बताया कि आईटी एक्ट के तहत ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर अश्लील सामग्री का वितरण पूरी तरह से अवैध है. ऐसा करने पर सजा भी हो सकती है.

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केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने लोकसभा में अपने लिखित जवाब में बताया कि भारत सरकार ऑनलाइन पोर्नोग्राफी के खिलाफ सख्त कदम उठा रही है. नए आईटी नियमों के तहत इस तरह के ऑनलाइन कंटेंट को तेजी से हटाने का आदेश दिया गया है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की नीतियों का मकसद अपने यूजर्स के लिए एक खुला, सुरक्षित, विश्वसनीय और जवाबदेह इंटरनेट सुनिश्चित कराना है. उन्होंने कहा कि पोर्नोग्राफी के लिए सजा भी हो सकती है. इंटरमीडिएरी को 24 घंटों के अंदर इस तरह का अश्लील कंटेट को हटाना होगा.

यौन सामग्री दिखाने पर सजा का प्रावधान

सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 (The Information Technology Act, 2000) के तहत इलेक्ट्रॉनिक रूप में अश्लील सामग्री और यौन रूप से स्पष्ट कृत्य वाली सामग्री को प्रकाशित या प्रसारित करने के लिए दंड का प्रावधान किया गया है. इसके अलावा आईटी एक्ट में ऑनलाइन के जरिए चाइल्ड पोर्नोग्राफी को चित्रित करने वाली सामग्री को प्रकाशित या प्रसारित करने के लिए भी कठोर दंड का प्रावधान है.

सिनेमैटोग्राफ एक्ट 1952 और सिनेमैटोग्राफ (सर्टिफिकेशन) रूल्स 1983 के प्रावधानों के अनुसार स्वस्थ मनोरंजन तय करने के लिए, केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी), वयस्क फिल्मों सहित फिल्मों के सार्वजनिक प्रदर्शन को नियंत्रित करता है. उनके द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार, जो फिल्में गैर-वयस्कों के लिए प्रदर्शन के लिए सही नहीं मानी जाती हैं, उन्हें केवल वयस्क दर्शकों के लिए प्रदर्शन के लिए प्रमाणित किया जाएगा.

इसके अलावा आईटी एक्ट 2021 ऑनलाइन क्यूरेटेड कंटेंट के पब्लिशर्स के लिए आचार संहिता तय करता है, जिन्हें आमतौर पर OTT प्लेटफॉर्म के रूप में जाना जाता है. इस कोड के तहत OTT प्लेटफॉर्म को निर्दिष्ट आयु-उपयुक्त श्रेणियों में सामग्री को क्लासीफाइड करना, बच्चों द्वारा आयु-अनुचित सामग्री तक पहुंच को रोकना और “वयस्क” के रूप में क्लासीफाइड के लिए आयु सत्यापन तंत्र को लागू करना जरूरी है.

बाल यौन शोषण सामग्री पर सरकार की नजर

केंद्रीय मंत्री ने बताया कि साइबर क्राइम से समन्वित तरीके से निपटने के लिए जांच तंत्र को और मजबूत करने के लिए, सरकार ने कई उपाय किए हैं. गृह मंत्रालय नागरिकों को सभी प्रकार के साइबर क्राइम से संबंधित शिकायतों की रिपोर्ट करने में सक्षम बनाने के लिए एक नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल (www.cybercrime.gov.in) संचालित करता है, जिसमें बच्चों के खिलाफ साइबर क्राइम पर खास ध्यान दिया जाता है. गृह मंत्रालय ने बच्चों के खिलाफ साइबर क्राइम समेत सभी प्रकार के साइबर क्राइम से समन्वित और व्यापक तरीके से निपटने के लिए इंडियन साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर (Indian Cyber Crime Coordination Centre (I4C) की भी स्थापना की है.

यौन शोषण को लेकर केंद्र सरकार ने बताया कि सरकार ने समय-समय पर बाल यौन शोषण सामग्री (Child Sexual Abuse Material, CSAM) वाली वेबसाइटों को ब्लॉक किया है, जो केंद्रीय जांच ब्यूरो, इंटरपोल के लिए भारत की राष्ट्रीय नोडल एजेंसी के माध्यम से मिले इंटरपोल की सूचियों के आधार पर है.

इस तरह के कंटेंट पर रोक लगाने के लिए राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी), गृह मंत्रालय (एमएचए) और अमेरिका के नेशनल सेंटर फॉर मिसिंग एंड एक्सप्लॉइटेड चिल्ड्रन (एनसीएमईसी) के बीच एनसीएमईसी से ऑनलाइन बाल स्पष्ट सामग्री और बाल यौन शोषण सामग्री पर टिपलाइन रिपोर्ट साझा करने के संबंध में एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किया गया है.

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