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केंद्र की व्यावसायिक पाठ्यक्रम योजना संकट में, छत्तीसगढ़ में 652 नए स्कूलों में लागू होने के बावजूद प्रशिक्षकों की कमी

रायपुर। केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी व्यावसायिक पाठ्यक्रम योजना अधिकारियों की उदासीनता के चलते गर्त में जाती दिख रही है. आलम यह है कि छत्‍तीसगढ़ के 652 नए स्कूलों में व्यावसायिक पाठ्यक्रम लागू करने की अनुमति दे दी गई है मगर अभी तक यहां व्यावसायिक प्रशिक्षकों की व्यवस्था नहीं हो पाई है.

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नियमानुसार यहां व्यावसायिक प्रशिक्षकों की नियुक्ति के लिए राज्य के नोडल एजेंसी समग्र शिक्षा को रुचि की अभिव्यक्ति के लिए आमंत्रण (ईओआइ) किया जाना था। यह प्रक्रिया अब तक शुरू ही नहीं हो पाई है. नतीजतन, सत्र शुरू होने के बाद बाद भी पढ़ाई शुरू नहीं हो पाई है. ईओआइ के लिए कम से कम एक से डेढ़ महीने की प्रक्रिया होती है.

चर्चा है कि सीधे किसी एक कंपनी को काम देने की तैयारी है. इसलिए अभी तक कोई प्रक्रिया नहीं हो पाई है. इधर, स्कूलों में कुछ विद्यार्थियों ने नए ट्रेड में दाखिला भी ले लिया है. नए ट्रेड में इस साल अपेरल, आटोमोटिव, बैंकिंग, कंस्ट्रक्शन, इलेक्ट्रानिक हार्डवेयर, आइटी, प्लबिंग, पावर और रिटेल ट्रेड पढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं.

राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुसार 2025 तक 50 प्रतिशत स्कूलों में व्यावसायिक शिक्षा पाठ्यक्रम लागू किया जाना है. इसी के मद्देनजर प्रदेश में इस वर्ष 652 नए स्कूलों में व्यावसायिक शिक्षा लागू करने के लिए केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय से मंजूरी मिल चुकी है.

रमन सरकार में हुई थी शुरुआत

डा. रमन सिंह की सरकार में सत्र 2014-15 से सरकारी स्कूलों में व्यावसायिक शिक्षा पाठ्यक्रम की शुरुआत हुई थी. यहां 1184 व्यावसायिक प्रशिक्षकों के माध्यम से 10 ट्रेड में पढ़ाई हो रही है. इनमें एग्रीकल्चर, आटोमोबाइल, ब्यूटी एंड वेलनेस, बैंकिग फाइनेंस, इलेक्ट्रानिक्स एंड हार्डवेयर, हेल्थकेयर, आइटी, मीडिया एंड एंटरटेनमेंट, रिटेल, टेलीकाम में पढ़ाई हो रही है.

इसके लिए राज्य शासन ने आठ प्रशिक्षण संस्थानों से अनुबंध कर रखा है. इनमें सेंटम वर्क स्किल, ग्रामतरंग, लक्ष्य जाब स्किल, आइसेक्ट, लर्नेट स्किल, इंडस, एडुट्रेन, स्किल ट्री और विद्यांता स्किल शामिल हैं.

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