CG High Court ने अस्पतालों की अव्यवस्थों को लेकर जताई नाराजगी, स्वास्थ्य सचिव को दिए ये निर्देश

छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने प्रदेश के अस्पतालों में अव्यवस्थाओं, डॉक्टरों की कमी, जांच सुविधा में खामियां और मरीजों की भीड़ को गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार को तत्काल सुधार के निर्देश दिए हैं। मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बीडी गुरु की डबल बेंच ने सोमवार को सीएचसी बिल्हा बिलासपुर और डॉ. भीमराव आंबेडकर मेमोरियल अस्पताल रायपुर से जुड़े मामले में सुनवाई की।

अस्पताल की स्थिति

आंबेडकर अस्पताल में ओपीडी रजिस्ट्रेशन सुबह आठ से दोपहर दो बजे तक होता है और आपातकालीन मरीजों के लिए कैजुअल्टी वार्ड 24 घंटे खुला है। जुलाई में यहां 52,278 मरीजों का रजिस्ट्रेशन हुआ, जबकि अगस्त के पहले आठ दिनों में 15,039 मरीज आए। अस्पताल प्रशासन ने रजिस्ट्रेशन से डाक्टर तक पहुंचने में 48 घंटे लगने की खबर को गलत बताया। डीकेएस अस्पताल में भी बड़ी संख्या में मरीज आते हैं, जुलाई में 7,206 व अगस्त के आठ दिनों में 2,061 मरीज आए।

बिल्हा सीएचसी की हकीकत

सरकार ने शपथपत्र में बताया कि बिल्हा के 50 बिस्तरों वाले सीएचसी और मातृ-शिशु अस्पताल में 9 विशेषज्ञ डॉक्टरों में से 6 पद खाली हैं, साथ ही तीन पद पीजी मेडिकल ऑफिसर के भी खाली पड़े हैं। एनेस्थेटिस्ट न होने से आपातकालीन और रात में ऑपरेशन संभव नहीं हैं, हालांकि नियोजित सिजेरियन के लिए दूसरे केंद्र से डॉक्टर बुलाए जाते हैं।

अस्पताल में एक्स-रे और सोनोग्राफी मशीन मौजूद है और जुलाई 2025 में 426 एक्स-रे किए गए। “हमर लैब” 32 पैथोलाजी पैरामीटर पर जांच कर रही है, लेकिन रीएजेंट सप्लाई की दिक्कत से कुछ टेस्ट प्रभावित हैं।

कोर्ट ने दिए जरूरी निर्देश

अदालत ने पाया कि डाक्टरों के कुछ पद खाली हैं, अस्पतालों में भीड़ अधिक है, रीएजेंट की कमी के कारण कुछ जांचें नहीं हो पा रही हैं और रात में चिकित्सा सुविधा सीमित है। कोर्ट ने कहा कि सरकार ने प्रयास किए हैं, लेकिन यह मरीजों की संख्या के मुकाबले नाकाफी हैं।

कोर्ट ने स्वास्थ्य सचिव को निर्देश दिए कि अगली सुनवाई तक सर्जिकल ब्लेड की गुणवत्ता और स्वच्छता पर विस्तृत रिपोर्ट दें, साथ ही बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने के ठोस कदम उठाएं। साथ ही राज्य के सभी अस्पतालों को किट उपलब्ध कराने और इसकी रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने को कहा।अगली सुनवाई 17 सितंबर को होगी।

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