चैतन्य बघेल को शराब घोटाले में भेजा गया जेल, भूपेश का हमला—SC की टिप्पणी केंद्र व ED पर करारा वार

छत्तीसगढ़ शराब घोटाला मामले में पूर्व सीएम भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल को ED ने मंगलवार को रायपुर की स्पेशल कोर्ट में पेश किया। कोर्ट ने उन्हें 14 दिन की ज्यूडिशियल रिमांड पर भेज दिया है। इससे पहले ED ने चैतन्य से 5 दिन तक पूछताछ की थी।

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बचाव पक्ष के वकील फैजल रिजवी ने कोर्ट में बताया कि प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा पेश की गई अर्जी पर उन्होंने आपत्ति दर्ज कराई है। उन्होंने कहा कि ED ने बिना समन दिए चैतन्य बघेल को गिरफ्तार किया। इसके लिए जो तीन आधार बताए गए, वे तथ्यात्मक रूप से कमजोर हैं। ED ने तथ्यों को गलत तरीके से पेश किया।

वहीं सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को प्रवर्तन निदेशालय (ED) को फटकार लगाते हुए कहा कि, राजनीतिक लड़ाइयां चुनाव में लड़ी जानी चाहिए, जांच एजेंसियों के जरिए नहीं। ED का इस तरह इस्तेमाल क्यों हो रहा है?

इस पर पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने ट्वीट कर कहा कि, सुप्रीम कोर्ट की ED को लेकर की गई टिप्पणी केंद्र सरकार के खिलाफ है और यह ED के गालों पर तमाचा है। अब यह स्पष्ट है कि ED भाजपा के एक विंग के रूप में काम कर रही है।

वहीं बघेल ने आगे लिखा, इसलिए ही सुप्रीम कोर्ट ने कल ED से कहा कि आप अपना काम करें, राजनीतिज्ञों को राजनीति करने दें। आज पूरे देश में भाजपा अपने राजनीतिक हितों को साधने के लिए ED का दुरुपयोग कर रही है और केवल विपक्ष को टारगेट कर रही है।

अब जानिए ED के आरोप और गिरफ्तारी पर क्या बोले बचाव पक्ष के वकील ?

Yबचाव पक्ष के वकील फैजल रिजवी ने बताया कि पहला मामला सहेली ज्वेलर्स से जुड़े 5 करोड़ रुपए के लोन का है, जिस पर ED ने कहा कि यह बिना ब्याज का संदिग्ध लोन है। इसके जवाब में हमने स्पष्ट किया कि यह लोन 2019 में लिया गया था।

अब तक करीब 2.21 करोड़ रुपए ब्याज के रूप में चुकाए जा चुके हैं। यह जानकारी फरवरी 2025 में सहेली ज्वेलर्स के प्रोपराइटर द्वारा दस्तावेजों सहित ED को दी जा चुकी थी, बावजूद इसके जांच एजेंसी ने कोर्ट के समक्ष भ्रामक तथ्य पेश किए।

फैजल रिजली ने बताया कि दूसरा मामला त्रिलोक सिंह ढिल्लन को 5 करोड़ रुपए में बेचे गए फ्लैट से जुड़ा है, जिसमें ढिल्लन पहले ही जेल में रहते हुए यह स्पष्ट कर चुके हैं कि उनके पास यह राशि कहां से आई। ED ने उनके जवाबों से संतुष्टि जताई थी, इसीलिए चैतन्य बघेल से इस संबंध में कोई पूछताछ नहीं की गई थी।

ED ने फरार आरोपी की खातिरदारी कर उसके बयान पर गिरफ्तारी की

फैजल रिजवी ने बताया कि तीसरा आधार पप्पू बंसल के बयान पर आधारित है, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि चैतन्य के पास 1,000 करोड़ रुपए का लेनदेन है। इस पर भी हमने ED को दस्तावेजों और सबूतों सहित जवाब सौंपा, जिसे कोर्ट में भी प्रस्तुत किया गया।

हमने यह भी बताया कि जिस फरार आरोपी लक्ष्मी नारायण के बयान पर कार्रवाई की गई, उसके खिलाफ वारंट जारी है। इसके बावजूद ED ने आरोपी की खातिरदारी कर बयान लिया और चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी की।

अब जानिए ED ने चैतन्य पर क्या आरोप लगाए हैं?

ED के अनुसार लीकर स्कैम में पूछताछ में शराब कारोबारी लक्ष्मी नारायण बंसल उर्फ पप्पू ने EOW को बयान दिया था कि, उसने और चैतन्य बघेल ने मिलकर 1000 करोड़ से ज्यादा घोटाले की रकम को हैंडल किया। यह कैश अनवर ढेबर ने दीपेन चावड़ा को पहुंचाया। यह पैसा बाद में राम गोपाल अग्रवाल को दिया गया।

इसकी व्यवस्था चैतन्य बघेल के साथ मिलकर की गई और चैतन्य बघेल के कहने पर 1000 करोड़ में से 100 करोड़ नकद केके श्रीवास्तव को दिया गया। पप्पू बंसल ने पूछताछ में ये भी स्वीकार किया है कि शराब घोटाले से उसे 3 महीने में 136 करोड़ रुपए मिले हैं। अनवर ढेबर और नीतेश पुरोहित के बीच चैट में हुई बातचीत में इसकी जानकारी है।

कौन है लक्ष्मी नारायण बंसल उर्फ ​​​​​​पप्पू बंसल

पप्पू बंसल दुर्ग भिलाई का शराब कारोबारी है। प्रॉपर्टी डीलर का काम करने के दौरान शराब कारोबार से जुड़ा। भूपेश बघेल के करीबी होने के साथ ही कोयले का भी कारोबार है।

चैतन्य के प्रोजेक्ट में 13-15 करोड़ इन्वेस्ट

ED ने अपनी जांच में पाया कि चैतन्य बघेल के विट्ठल ग्रीन प्रोजेक्ट (बघेल डेवलपर्स) में घोटाले के पैसे को इन्वेस्ट किया गया है। इस प्रोजेक्ट से जुड़े अकाउंटेंट के ठिकानों पर छापेमारी कर ED ने रिकॉर्ड जब्त किए।

प्रोजेक्ट के कंसल्टेंट राजेन्द्र जैन ने बताया कि इस प्रोजेक्ट में वास्तविक खर्च 13-15 करोड़ था। जबकि रिकॉर्ड में 7.14 करोड़ ही दिखाया गया। जब्त डिजिटल डिवाइसेस से पता चला कि बघेल की कंपनी ने एक ठेकेदार को 4.2 करोड़ कैश पेमेंट किया गया, जो रिकॉर्ड में नहीं दिखाया गया।

फर्जी फ्लैट खरीदी के जरिए पैसे की हेराफेरी

ED ने अपनी जांच में पाया है कि त्रिलोक सिंह ढिल्लो ने 19 फ्लैट खरीदने के लिए 5 करोड़ बघेल डेवलपर्स को ट्रांसफर किया। ढिल्लन ने ये फ्लैट अपने कर्मचारियों के नाम पर खरीदे लेकिन पेमेंट त्रिलोक ढिल्लो ने खुद दिया।

ED ने जब ढिल्लन के कर्मचारियों से पूछताछ की तो कर्मचारियों ने बताया कि ये फ्लैट की खरीदी उन्हीं के नाम पर हुई, लेकिन पैसे ढिल्लो ने दिए। ये सारा ट्रांजेक्शन 19 अक्टूबर 2020 को एक ही दिन हुआ। ED ने कहा कि ब्लैक को लीगल करने के लिए यह एक पूर्व-योजना के तहत किया गया लेन-देन था। इसका मकसद पैसे को छिपाकर चैतन्य बघेल तक पहुंचाना था।

5 करोड़ कैश के बदले फर्जी ट्रांसफर

ED के मुताबिक भिलाई के एक ज्वेलर्स ने चैतन्य बघेल को 5 करोड़ रुपए उधार दिए लेकिन ED की जांच में सामने आया कि जो 5 करोड़ रुपए चैतन्य की दो कंपनियों को लोन के रूप में दिया गया ।

बाद में इसी ज्वेलर्स ने बघेल की कंपनी से 6 प्लॉट खरीदे जिसकी कीमत 80 लाख थी। ED ने बताया कि यह पैसा शराब घोटाले से आया हुआ कैश था। यह पैसा बैंक के जरिए ट्रांसफर किया गया। ताकि कैश को लीगल दिखाया जा सके।

पैसा छुपाने के लिए फ्रंट कंपनियों का इस्तेमाल

ईडी का दावा है कि चैतन्य बघेल ने घोटाले का पैसा पाने के लिए दूसरे लोगों और कंपनियों का इस्तेमाल किया ताकि ED और अन्य एजेंसियां ट्रैक न कर सकें। जैसे ढिल्लन सिटी मॉल में पैसा आया, फिर ढिल्लन ड्रिंक्स से कर्मचारियों को पैसा ट्रांसफर हुआ, फिर वही पैसा बघेल डेवलपर्स को दिया गया। ED का दावा है कि चैतन्य बघेल के पास 16.70 करोड़ के अवैध घोटाले के पैसे आए।

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