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चकिया में दबंगों का कहर: मुसहर समुदाय की जमीन पर अवैध कब्जा, प्रशासन मौन

चंदौली : जनपद के चकिया तहसील के पुरानडीह गांव में वर्षों से आवंटित पट्टे की जमीन पर दबंगों के कब्जे से परेशान मुसहर समुदाय के लोग न्याय के लिए अधिकारियों के दरवाजे खटखटा रहे हैं। अनुसूचित जाति से आने वाले इन परिवारों को यह जमीन सरकार द्वारा उनके जीवनयापन के लिए आवंटित की गई थी। हालांकि, दबंग कब्जाधारियों ने न केवल इस जमीन पर अवैध कब्जा कर रखा है.

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गांव के पीड़ित मुसहर परिवारों में राम वृक्ष, बुद्धू, कैलाश, मुकुड़ी समेत कई अन्य ने पहले भी प्रशासन से लिखित शिकायत की थी। शिकायत के बाद उपजिलाधिकारी (एसडीएम) चकिया ने मामले को गंभीरता से लेते हुए क्षेत्रीय लेखपाल को जांच और कार्रवाई के निर्देश दिए.

लेखपाल ने मौके पर पहुंचकर जमीन की मापी कराई और आवंटित व्यक्तियों को उनकी जमीन चिन्हित कराई। इसके बावजूद, स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ। दबंग कब्जाधारी अपनी मनमानी करते हुए जमीन पर अवैध कब्जा बरकरार रखे हुए हैं.

मुसहर समुदाय के लोगों का कहना है कि यह जमीन उनके जीवनयापन का एकमात्र सहारा है। जमीन पर खेती करके ही वे अपने परिवार का पेट पालते हैं. लेकिन दबंगों के डर और धमकियों की वजह से वे अपनी जमीन पर कदम भी नहीं रख पा रहे हैं.

राम वृक्ष ने कहा, “प्रशासन ने हमारी जमीन चिन्हित तो कर दी, लेकिन हमें उस पर काम करने का अधिकार नहीं दिया। दबंग हमें धमकाते हैं और हमारी जमीन पर खेती करने से रोकते हैं.”

प्रशासनिक लापरवाही पर उठे सवाल

पीड़ितों ने इस स्थिति को लेकर एक बार फिर उपजिलाधिकारी चकिया को लिखित शिकायत दी है. लेकिन प्रशासन की ओर से अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। मुसहर परिवारों ने सवाल उठाते हुए कहा कि जब प्रशासन को पूरे मामले की जानकारी है और मापी भी हो चुकी है, तो उन्हें उनकी जमीन पर कब्जा दिलाने में इतना वक्त क्यों लग रहा है?

मुकुड़ी ने निराशा जताते हुए कहा, “हमने कई बार अधिकारियों से गुहार लगाई, लेकिन दबंगों पर कोई सख्त कार्रवाई नहीं की जा रही है। प्रशासन की निष्क्रियता ने हमारी समस्याओं को और बढ़ा दिया है.”

आवंटित जमीन पर दबंगई का राज
मुसहर समुदाय के लोगों को सरकार द्वारा आवंटित यह जमीन उनके सामाजिक और आर्थिक उत्थान के लिए दी गई थी. लेकिन दबंगों की कब्जाधारी प्रवृत्ति ने न केवल उनके अधिकारों का हनन किया है, बल्कि उनके विकास की राह में भी बाधा उत्पन्न की है.

लेखपाल द्वारा मापी और चिन्हांकन के बाद भी मुसहर समुदाय अपनी जमीन पर खेती करने से वंचित है। यह स्थिति न केवल प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े करती है, बल्कि ग्रामीण विकास और सामाजिक न्याय के दावों को भी कठघरे में खड़ा करती है.

मुसहर समुदाय ने इस बार अपनी समस्या को लेकर जिलाधिकारी से लेकर उच्च प्रशासनिक अधिकारियों तक गुहार लगाने का निर्णय लिया है. उनका कहना है कि यदि उनकी समस्या का जल्द समाधान नहीं हुआ तो वे बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन करेंगे.

यह मामला केवल एक गांव का नहीं है, बल्कि इससे यह सवाल भी उठता है कि समाज के कमजोर वर्गों के साथ न्याय कब और कैसे होगा. सरकार द्वारा दिए गए पट्टों पर दबंगई के चलते इन परिवारों का जीवन और अधिक कठिन होता जा रहा है.

अब देखना यह होगा कि प्रशासन मुसहर समुदाय की जमीन पर कब्जा छुड़ाने के लिए कब तक कारगर कदम उठाता है. पीड़ित परिवारों को उम्मीद है कि जिला प्रशासन उनकी समस्याओं को गंभीरता से लेगा और उन्हें उनका अधिकार दिलाएगा।जब तक प्रभावी कार्रवाई नहीं होती, तब तक यह मामला दबंगई और प्रशासनिक निष्क्रियता का एक और उदाहरण बना रहेगा.

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