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चंदौली: भ्रष्टाचार का खुलासा करने वाले सिपाही ने कोर्ट से पाई राहत, 19 पुलिसकर्मी कटघरे में!

 

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चंदौली : जिले के पूर्व एसपी अनिल कुमार सिंह समेत 19 पुलिसकर्मियों के खिलाफ गाजीपुर के नंदगंज थाने में मुकदमा दर्ज किया गया है. यह मामला सिपाही अनिल सिंह द्वारा अवैध वसूली की सूची वायरल करने और इसके बाद हुई कथित पुलिसिया कार्रवाई से जुड़ा है.

कोर्ट के आदेश पर इन पुलिसकर्मियों के खिलाफ यह मुकदमा दर्ज हुआ. मुगलसराय कोतवाली में तैनात सिपाही अनिल सिंह ने कोतवाली में हो रही कथित अवैध वसूली का पर्दाफाश करते हुए एक सूची वायरल की थी. उन्होंने आरोप लगाया था कि तत्कालीन एसपी और प्रभारी मुगलसराय हर महीने 12 लाख 50 हजार रुपये की अवैध वसूली कराते थे. इस खुलासे के बाद एसपी अनिल कुमार सिंह ने अनिल सिंह को बर्खास्त कर दिया.

सिपाही अनिल सिंह ने आरोप लगाया है कि बर्खास्तगी के बाद तत्कालीन स्वाट प्रभारी अजीत कुमार सिंह और अन्य पुलिसकर्मियों ने बिना नंबर की बोलेरो गाड़ी में गाजीपुर जिले के नंदगंज थाना क्षेत्र के बड़हरा गांव स्थित उनकी ससुराल से उन्हें जबरन उठा लिया.

उनकी बेटी ने तत्काल डायल 112 पर इसकी सूचना दी. इसके बावजूद अनिल सिंह को दो दिन तक हिरासत में रखा गया और फिर फर्जी मुकदमों में फंसाकर जेल भेज दिया गया. सिपाही अनिल सिंह ने इस कार्रवाई को अदालत में चुनौती दी. मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने तत्कालीन एसपी अनिल कुमार सिंह समेत 19 पुलिसकर्मियों पर मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया.

मुकदमे में तत्कालीन एसपी अनिल कुमार सिंह, सदर कोतवाल राजीव कुमार सिंह, स्वाट टीम प्रभारी अजीत कुमार सिंह, क्राइम ब्रांच प्रभारी सत्येंद्र कुमार यादव समेत अन्य पुलिसकर्मियों के नाम शामिल हैं.

इनमें मुख्य आरक्षी आनंद कुमार, राणा प्रताप सिंह, अमित सिंह, भुल्लन यादव, देवेंद्र कुमार सरोज, प्रेम प्रकाश यादव, सत्येंद्र विक्रम सिंह, अंकित सिंह, गौरव राय और मनोज कुमार भी शामिल हैं. सिपाही अनिल सिंह का कहना है कि उन्होंने सिर्फ भ्रष्टाचार का खुलासा किया था, लेकिन इसके बदले उन्हें झूठे मामलों में फंसाकर प्रताड़ित किया गया.

अब न्यायालय के आदेश के बाद वह उम्मीद कर रहे हैं कि उन्हें न्याय मिलेगा और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होगी. यह मामला न केवल पुलिस विभाग में भ्रष्टाचार को उजागर करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि कैसे एक सिपाही द्वारा सच सामने लाने की कोशिश को दबाने के लिए दमनकारी कदम उठाए गए. अब देखना यह है कि कोर्ट के आदेश के बाद प्रशासन और सरकार इस मामले में क्या कदम उठाते हैं.

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