चंदौली: पीडीडीयू मानव तस्करी जैसी संगीन समस्या से निपटने में रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है, हाजीपुर जोन के प्रधान मुख्य सुरक्षा आयुक्त अमरेश कुमार प्रधान ने मानव तस्करी की रोकथाम और आरपीएफ की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए बताया कि, यह अपराध न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि मानवाधिकारों का भी हनन करता है.
महिलाओं और बच्चों सहित कमजोर वर्गों को नौकरी, धन, और बेहतर जीवन का प्रलोभन देकर तस्करी का शिकार बनाया जाता है। तस्करी का उद्देश्य यौन शोषण, वेश्यावृत्ति, जबरन मजदूरी, बाल विवाह, घरेलू नौकर के रूप में काम करवाना, भीख मंगवाना, अंग प्रत्यारोपण, और मादक पदार्थों की तस्करी जैसे अपराधों में उपयोग करना होता है, इस प्रक्रिया में गरीब और दयनीय स्थिति में जीवन यापन करने वाले लोग अक्सर शिकार बनते हैं.
हालांकि, रेलवे सुरक्षा बल को मानव तस्करी की जांच करने का अधिकार नहीं है, लेकिन वह राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) और स्थानीय पुलिस को सहायता प्रदान करता है, रेलवे का देशव्यापी नेटवर्क होने के कारण आरपीएफ इस तरह के अपराधों की रोकथाम में अहम भूमिका निभाता है.
आरपीएफ अधिनियम, 1957 के तहत आरपीएफ रेल सीमा के भीतर अपने कर्तव्यों का पालन करता है। कई बार, अकेले ही आरपीएफ मानव तस्करी के मामलों को पकड़ने में कामयाब रहा है। तस्करों के चंगुल से मुक्त कराए गए व्यक्तियों को कानूनी कार्रवाई के लिए जीआरपी को सौंपा जाता है।
पिछले तीन वर्षों (2022-2024) में आरपीएफ ने पूरे भारत में 2614 व्यक्तियों को मानव तस्करों से मुक्त कराया, जिनमें बड़ी संख्या में बच्चे शामिल थे। इसके अलावा, 753 मानव तस्करों को गिरफ्तार कर उनके नेटवर्क को तोड़ा गया.
मानव तस्करी रोकने के लिए अब तक 53 आरपीएफ टीमों का गठन किया जा चुका है। ये टीमें रेलवे स्टेशनों, ट्रेनों और ट्रैक के आस-पास के क्षेत्रों में सक्रिय रूप से निगरानी रखती हैं, साथ ही, यात्रियों और स्थानीय लोगों के बीच जागरूकता अभियान चलाकर उन्हें तस्करी से संबंधित संकेतों और संदिग्ध गतिविधियों की पहचान करना सिखाती हैं.
आरपीएफ विश्वसनीय स्रोतों से खुफिया जानकारी एकत्र कर कानून प्रवर्तन एजेंसियों को उपलब्ध कराता है, इन प्रयासों से न केवल तस्करी के मामलों को पकड़ा जा रहा है, बल्कि अपराधियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई भी सुनिश्चित की जा रही है.
मानव तस्करी के खिलाफ आरपीएफ का यह कदम अपराध के इस जटिल नेटवर्क को खत्म करने की दिशा में एक मजबूत प्रयास है, रेलवे स्टेशन और ट्रेनों के माध्यम से होने वाली तस्करी को रोकने के लिए आरपीएफ की सक्रियता सराहनीय है। समाज को भी जागरूक होकर इस अपराध के खिलाफ अपना समर्थन देना चाहिए.