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Chandipura virus : फेफड़ों से दिमाग में जाता है चांदीपुरा वायरस, देश के इन चार राज्यों में फैला

देश के चार राज्यों में खतरनाक चांदीपुरा वायरस से मरने वाले बच्चों की संख्या बढकर 12 हो गई है. केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (एनआईवी पुणे) को एलर्ट पर रखा गया है. इस बीमारी में डेथ रेट 50 प्रतिशत तक है. एम्स नई दिल्ली में बच्चों के रोग के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ एम वाजपेयी ने कहा कि गुजरात के स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से स्क्रीनिंग और तमाम तरह के उपाय किए जा रहे हैं. उन्होंने कहा का बहुत तेजी से यह ब्रेन में फैल जाता है. डॉ एम वाजपेयी ने कहा कि इस बीमारी का फ्लूड से भी ट्रांसमिशन होता है. उन्होंने कहा कि इसके टीके पर काम चल रहा है लेकिन अबतक सफलता नहीं मिली है.

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गुजरात में अपने पांव पसारने के बाद चांदीपुर वायरस ने महाराष्ट, राजस्थान और मध्यप्रदेश के बच्चों को अपने चपेट में ले लिया है. सभी बच्चों के खून के सैंपल पुणे की राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (National Institute of Virology for confirmation NIV) भेजे गए हैं. गुजरात के सबारकांठा, आरवल्ली, महिसागर औऱ राजकोट में इसके मामले सामने आए हैं. गुजरात के स्वास्थ्य मंत्रालय का दावा है कि जहां चांदीपुर वायरस के फैलाव सामने आया है वहां अबतक 8600 लोगो की स्क्रीनिंग की जा चुकी है. यहां पूरे इलाके को 26 जोन में बांटा गया है.

बहुत जल्द कोमा में चला जाता है बच्चा

डॉ एम वाजपेयी ने बताया कि इस बीमारी में चांदीपुर वायरस का जब संक्रमण होता है तो लंग्स के माध्यम से वायरस सीधे दिमाग में चला जाता है. यह रोगज़नक़ रैबडोविरिडे परिवार के वेसिकुलोवायरस जीनस का सदस्य है. यह मच्छरों, टिक्स और सैंडफ़्लाइज़ सहित वैक्टर द्वारा फैलता है. इसमें आमतौर पर फ्लू वाले लक्षण बच्चों में होता है. बच्चों में उलटी आना, डायरिया, बदन दर्द बढ़ता चला जाता है. इससे बहुत जल्द बच्चा कोमा में चला जाता है. दिमाग में सूजन हो जाता है और फिर बच्चे की मौत हो जाता है.

चांदीपुर वायरस के फैलाव वाले जिलों में सर्विंलांस

सूत्रों की मानें तो गुजरात के जिन इलाकों में यह वायरस के संक्र्मण की सूचना मिल रही है वहां तेजी से सर्विलांस को बढ़ा दिया गया है. इसके साथ ही सोशल मीडिया और दूसरे माध्यमों से एडवाजरी भी जारी की जा रही है. इन इलाकों में यदि कोई सदिग्ध मरीज आ रहा है तो उसे प्राथमिकता के आधार पर ट्रीट किया जाए इस तरह के दिशानिर्देश जारी किए जा रहे हैं.

कब हुई थी इस वायरस की पहचान

साल 1966 में पहली बार महाराष्ट्र में नागपुर के चांदीपुर में इस वायरस की पहचान हुई थी. यही वजह है कि इसका नाम नाम चांदीपुरा वायरस पड़ा. इसके बाद इस वायरस को साल 2004 से 2006 और 2019 में आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात में रिपोर्ट किया गया. इस दौरान मृत्यू दर 56 75 प्रतिशत तक थी. चांदीपुरा वायरस एक RNA वायरस है, जो सबसे ज्यादा मादा फ्लेबोटोमाइन मक्खी से फैलता है.

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