धर्म बदलो या नतीजे भुगतो… पाकिस्तान में हिंदू और ईसाई बच्चे जबरन धर्मांतरण और बाल श्रम का शिकार

पाकिस्तान के राष्ट्रीय बाल अधिकार आयोग (एनसीआरसी) की एक रिपोर्ट ने इस्लामी गणराज्य में अल्पसंख्यक बच्चों, खासकर ईसाइयों और हिंदुओं के साथ व्यापक भेदभाव को दिखाया है. यह रिपोर्ट अल्पसंख्यक धर्मों के बच्चों की स्थिति के बारे में जानकारी और वहां उनके हालात को पेश करती है. यह रिपोर्ट सरकारी हस्तक्षेप की मांग करती है.

क्रिश्चियन डेली इंटरनेशनल के अनुसार, ये रिपोर्ट धार्मिक अल्पसंख्यक बच्चों के सामने आने वाली गंभीर चुनौतियों की ओर इशारा करती है, जो एक व्यापक समस्या है. जबरन धर्मांतरण, बाल विवाह और बाल श्रम, खासकर बंधुआ मजदूरी, हजारों ईसाई और हिंदू बच्चों के लिए समस्या बन गई है.

नाबालिग लड़कियों का धर्म परिवर्तन

क्रिश्चियन डेली इंटरनेशनल की एनसीआरसी रिपोर्ट में सबसे गंभीर खुलासों में से एक अल्पसंख्यक समुदायों की नाबालिग लड़कियों का अपहरण और उनका जबरन धर्म परिवर्तन कर उन्हें बड़े मुस्लिम मर्दों से शादी कराने की परंपरा है. रिपोर्ट में ये भी बताया गया कि संस्थागत पूर्वाग्रह, कानून प्रवर्तन की कमी और भारी जन दबाव के कारण पीड़ितों के पास कानूनी सहायता के लिए कोई रास्ता मौजूद नहीं है, जो मानवाधिकार के लिए बड़ा संकट है.

एनसीआरसी के अनुसार, अप्रैल 2023 से दिसंबर 2024 तक हत्या, अपहरण, जबरन धर्म परिवर्तन और नाबालिग विवाह से जुड़ी कुल 27 शिकायतें मिलीं, जिसमें अल्पसंख्यक बच्चों को निशाना बनाया गया और ये केवल दर्ज मामले हैं.

पंजाब प्रांत में सबसे अधिक पीड़ित

क्रिश्चियन डेली इंटरनेशनल की ओर से बताया गया कि देश के सबसे अधिक आबादी वाले प्रांत पंजाब की स्थिति सबसे गंभीर है, जहां जनवरी 2022 और सितंबर 2024 के बीच अल्पसंख्यक बच्चों के खिलाफ दर्ज किए गए कुल मामलों का 40% हिस्सा यहां हुआ. पुलिस आंकड़ों के अनुसार, पीड़ितों में 547 ईसाई, 32 हिंदू, 2 अहमदिया, 2 सिख और 9 अन्य लोग शामिल थे.

एनसीआरसी की रिपोर्ट में कहा गया कि इसमें धार्मिक समावेश का अभाव है, जिससे ईसाई और हिंदू छात्रों को अपनी आस्था के खिलाफ इस्लामी विषय पढ़ने के लिए मजबूर होना पड़ता है. क्रिश्चियन डेली इंटरनेशनल ने आगे बताया कि यह उनके जीपीए और शैक्षणिक प्रगति पर नकारात्मक प्रभाव डालता है, जिससे असफलता और अलगाव की संस्कृति पैदा होती है.

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