चरण रज, उम्मीद से ज्यादा भीड़… हाथरस में क्यों मची थी भगदड़, जांच रिपोर्ट ने बताया

हाथरस में नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा सूरजपाल सिंह सत्संग में हुई भगदड़ के 1 साल पूरे हो गए हैं. 2 जुलाई को ही हाथरस में भगदड़ मची थी. हादसे की जांच के लिए एक रिपोर्ट बनाई गई थी. जांच रिपोर्ट में साफ तौर पर लिखा है कि 80 हजार लोगों की अनुमानित संख्या होने की बात कहकर अनुमति मांगी गई थी. लेकिन कार्यक्रम में ढाई से 3 लाख लोग पहुंचे थे. वहीं थाना प्रभारी की तरफ से जो आदेश दिया गया उसमें यह कॉलम खाली था.

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जिन शर्तों पर स्वीकृति दी गई थी उसमें अस्त्र-शस्त्र और लाठी डंडा की पूरी तरह से मनाही थी. परंतु सेवादार एक दिन पहले से ही लाठी डंडों से लैस थे. शर्त संख्या तीन के मुताबिक बिजली, अग्निशमन अन्य सुरक्षा व्यवस्था पहले हो जानी थी. परंतु न तो इसका अनुपालन किया गया और नहीं कराया गया.

नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा सूरजपाल सिंह को ले जाने, ले आने के लिए कोई रूट चार्ट तैयार नहीं था. भीड़ के मध्य से ही नारायण साकार हरि को लाया गया और भीड़ के मध्य से ही व रॉन्ग साइड होते हुए उन्हें ले जाया गया. जांच में पता लगा है कि सेवादार और आयोजक पुलिस प्रशासन से सहयोग नहीं कर रहे थे. यातायात नियमों का पालन नहीं किया गया. बेतरतीब तरीके से गाडियां पार्क थीं. यहां तक कि नारायण साकार हरि को भी यातायात नियमों का उल्लंघन करते हुए रॉन्ग साइड से ले जाया गया.

 जांच रिपोर्ट में लिखा गया है कि सेवादारों द्वारा पुलिस प्रशासन से कहा गया कि वह ट्रैफिक से लेकर सब की सुरक्षा की जिम्मेदारी खुद लेते हैं. यह बात मानकर प्रशासन निश्चित हो गया. सत्संग में भूत-प्रेत आदि बीमारी ठीक हो जाने का तथ्य भी जांच के दौरान सामने आया है. जो अंध विश्वास पैदा करने, कुरीतियों को बढ़ावा देने, भोले-भाले लोगों को बहकाने की बात को प्रमाणित करता है.

दुर्घटना, षड्यंत्र या सुनियोजित अपराध

प्रथम दृष्टया दुर्घटना प्रतीत हो रही है. हालांकि आयोग को पुलिस प्रशासन और कुछ लोक सेवकों ने बयान दिया है कि मंच से चरण रज लेने की और उससे सभी समस्याओं के दूर होने के घोषणा के क्रम में लोग दौड़े और फिर ये घटना हुई. वहीं तमाम श्रद्धालु और स्वयं भोले बाबा सूरजपाल सिंह ने अपने बयानों में चरणरज जैसी कोई परंपरा न होने की बात बताई. जबकि कुछ श्रद्धालुओं ने बताया कि नए श्रद्धालु चरण रज ले जाते हैं. हालांकि जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि चरण रज की वजह से हादसा हुआ यह नहीं कहा जा सकता है?

सूरजपाल ने अपने पहले शपथ पत्र में 15 से 20 हट्टे-कट्टे युवकों की बात बताई थी. कई लोगों ने आयोग के सामने बताया कि सत्संग खत्म होते ही सेवादारों ने सड़क के दोनों तरफ एक मानव शृंखला बना दी, ताकि भोले बाबा निकल जाएं. जबकि भीड़ का दबाव बहुत था. इस दौरान जब भोले बाबा निकल गए तो सेवादार हट गए. सड़क के किनारे वाटर टैंकर खड़े थे. वहां फिसलन थी, ऐसे में संभव है कि कुछ लोग चरण रज के लिए झुके और पीछे से भीड़ ने धक्का दिया, वो फिसल के नीचे गिर गए और दबते गए.

पुलिस प्रशासन द्वारा रास्ते में पड़ने वाली पुलिस चौकियों से बात करके आने वाली गाड़ियों से भीड़ का आकलन किया जा सकता था. लेकिन नहीं किया गया. रिपोर्ट में दर्ज है कि सारी व्यवस्था कार्यकर्ताओं और सेवादारों पर छोड़ दिया गया था. यही लोग शुरू से अंत तक सारी तैयारी संभालते रहे. सामान्यतः पुलिस और प्रशासन के लोग जो सत्संग स्थल पर लगाए गए थे, वे सिर्फ मूकदर्शन बनकर देख रहे थे.

जांच के बाद न्यायिक आयोग का निष्कर्ष

जांच के बाद न्यायिक आयोग ने सुझाव दिया है. ऐसी घटनाएं भविष्य में दोबारा ना हो, इसको रोकने के संबंध में सुझाव भी दिया है.

1-तहसील स्तर पर ऐसे आयोजन की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए.
2-अगर भीड़ 50000 से अधिक है तो जिला मजिस्ट्रेट स्तर से ही अनुमति मिलनी चाहिए.
3- पुलिस में भी पुलिस आयुक्त स्तर से अनुमति होनी चाहिए.
4- इसके अलावा सभी संबंधित विभागों को समय से पहले जानकारी मिलनी चाहिए और मौके का मुआवना वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा होना चाहिए.
5-आयोजन से पूर्व यह देख लेना चाहिए कि किसी कुरीति को बढ़ावा तो नहीं दिया जा रहा है. अगर ऐसा कोई तथ्य प्रकाश में आए तो अनुमति नहीं दी जानी चाहिए.

6- आने वाले लोगों के लिए सुरक्षा, पंडाल, पानी, दवा, अग्निशमन विभाग की गाड़ियों की व्यवस्था है या नहीं यह देख लेना चाहिए.
7- प्रारंभिक अनुमति सशर्त प्रदान की जानी चाहिए.
8- आयोजकों से शपथ पत्र लेना चाहिए और नियम तोड़ने पर कार्रवाई होनी चाहिए.
9-पुलिस, रेडियो कंट्रोल रूम होना चाहिए.
10- ऐसे आयोजन की वीडियो रिकॉर्डिंग की जानी चाहिए. सीसीटीवी लगे होने चाहिए. एआई इनेबल्ड सीसीटीवी कैमरा होना चाहिए.

 

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