प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पांच देशों के दौरे पर हैं. यात्रा के आखिरी चरण में वह नामीबिया पहुंचे. 1998 के बाद इस अफ्रीकी देश पहुंचने वाले वह पहले भारतीय पीएम हैं. प्रधानमंत्री मोदी के इस दौरे से भारत और नामीबिया के बीच रिश्तों में नई जान आएगी. PM की यात्रा से दोनों देशों के बीच प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य, बुनियादी ढांचे, विकास और सुरक्षा के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है. भारत और नामीबिया के संबंध पुराने रहे हैं. एक ओर जहां भारत मुश्किल वक्त में नामीबिया की मदद करता रहा है तो वहीं नामीबिया UNSC में भारत को उसका हक दिलाने की आवाज उठाता रहा है.
भारत और नामीबिया के रिश्ते
1946 में ही भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में नामीबिया की आजादी का मुद्दा उठाया. उसने नामीबिया के मुक्ति संघर्ष का नेतृत्व करने वाले दक्षिण पश्चिम अफ्रीका पीपुल्स ऑर्गनाइजेशन (SWAPO) का पहला दूतावास 1986 में नई दिल्ली में स्थापित किया गया. गुटनिरपेक्ष आंदोलन (NAM) के माध्यम से पूर्ण राजनयिक दर्जा और दृढ़ समर्थन प्रदान करने के अलावा भारत ने रंगभेदी दक्षिण अफ्रीका की ताकतों के खिलाफ नामीबिया के मुक्ति संघर्ष में सैन्य प्रशिक्षण की पेशकश की.
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मार्च 1990 में नामीबिया को आजादी मिली. इसके बाद देश में भारतीय पर्यवेक्षक मिशन को उच्चायोग में अपग्रेड किया गया. नामीबिया ने मार्च 1994 में नई दिल्ली में अपना पूर्ण विकसित आवासीय मिशन खोला. SWAPO के नेता और नामीबिया के संस्थापक राष्ट्रपति सैम नुजोमा ने 11 बार भारत का दौरा किया.
27 साल बाद भारतीय PM का दौरा
नामीबिया की यात्रा करने वाले आखिरी भारतीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी थे. वह अगस्त 1998 के अंत में NAM की बैठक के लिए डरबन जाने से पहले विंडहोक गए थे. पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने 2016 में नामीबिया का दौरा किया था. उन्होंने नामीबियाई संसद को भी संबोधित किया था. उन्होंने कहा था कि भारत नामीबिया के नेताओं और लोगों के साथ उनके मुक्ति संग्राम में कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा होने पर गर्व महसूस करता है. भारत नामीबिया के साथ एक मजबूत विकास साझेदारी के लिए प्रतिबद्ध है.
भारत के पास अफ्रीकी महाद्वीप में महत्वपूर्ण हित हैं. उसे व्यापार, विकास, सुरक्षा और ऊर्जा सहयोग के संबंधों को मजबूत करने की उम्मीद है. नामीबिया से द्विपक्षीय संबंधों के मुख्य स्तंभों में महत्वपूर्ण खनिज, ऊर्जा, अर्थव्यवस्था, क्षमता निर्माण और विकास सहायता शामिल हैं. हाल ही में भारत की चीता डिप्लोमेसी ने महत्व हासिल किया है.
भारत-नामीबिया के बीच व्यापार
नामीबिया दुनिया में यूरेनियम का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक है और लिथियम, जिंक जैसे धातुओं के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक है. दोनों देशों के बीच हाल के वर्षों में आर्थिक और वाणिज्यिक संबंध मजबूत हुए हैं. दोनों के बीच व्यापार 654 मिलियन डॉलर तक पहुंच गया है. भारत का निर्यात 418 मिलियन डॉलर और नामीबिया से आयात 235 मिलियन डॉलर रहा. व्यापार की मुख्य चीजें खनिज तेल, दवा उत्पाद, मशीनरी और अनाज हैं.
विदेश मंत्रालय के अनुसार, नामीबिया में भारत का निवेश लगभग 800 मिलियन डॉलर है. भारत द्वारा लगभग 12 मिलियन डॉलर के अनुदान के माध्यम से नामीबिया विश्वविद्यालय के ओंगवेडिवा परिसर में इंडिया विंग की स्थापना की गई है. भारत ने नामीबिया के रक्षा कर्मियों, राजनयिकों, सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिकारियों और क्रिकेटरों को प्रशिक्षण प्रदान किया है.
संकट में नामीबिया के साथ रहा भारत
मार्च 2021 में नई दिल्ली ने नामीबिया को कोरोना की कोविशील्ड वैक्सीन की 30,000 खुराकें दीं. यही नहीं भारत ने 2017 और 2019 में नामीबिया जब सूखे से जूझ रहा था तो उसे चावल दिया था और कई मौकों पर सूखे और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं से लड़ने में देश की मदद की है. वहीं, नामीबिया ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता के लिए भारत की उम्मीदवारी का समर्थन किया है.
2022 में जंगलों में चीतों को फिर से बसाने के लिए भारत ने नामीबिया की मदद ली. दोनों के बीच समझौता हुआ. इसके बाद आठ चीतों को नामीबिया से भारत लाया गया. पिछले 20 वर्षों में चीन अफ्रीका का सबसे बड़ा द्विपक्षीय व्यापारिक साझेदार बन गया है, जिसका व्यापार 200 बिलियन डॉलर से अधिक है. भारत अफ्रीका का चौथा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है, जिसका व्यापार 2023 में लगभग 100 बिलियन डॉलर होगा.
विदेश मंत्रालय के अनुसार, भारत अफ्रीका के लिए 10वां सबसे बड़ा FDI स्रोत है और उसने अफ्रीका महाद्वीप के 43 देशों में 206 बुनियादी ढांचा परियोजनाएं पूरी की हैं. 65 परियोजनाएं निर्माणाधीन हैं. भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने 1996 से अफ्रीका में 76 बिलियन डॉलर का निवेश किया है और यह 2030 तक बढ़कर 150 बिलियन डॉलर हो सकता है.