आवारा कुत्तों को लेकर इन दिनों पूरे देश में जोरदार बहस छिड़ी हुई है. इसी बीच कुंवारपुर वन परिक्षेत्र में आवारा कुत्तों की वजह से एक चीतल की जान चली गई. दरअसल कुंवारपुर वन परिक्षेत्र के चांटी गांव में एक चीतल जंगल से भटककर पहुंच गया. गांव में जैसे ही चीतल पहुंचा गांव के आवारा कुत्तों ने उसे घेर लिया. चीतल कुत्तों से बचने के लिए भागते भागते निर्माणाधीन सेप्टिक टैंक में जा गिरा.
आवारा कुत्तों की वजह से गई चीतल की जान: गांव वालों ने जब सेप्टिक टैंक के पास कुत्तों के झुंड को देखा तो वो मौके पर पहुंचे. लोगों ने निर्माणाधीन सेप्टिक टैंक में झांको तो पाया कि वहां पर एक चीतल गिरा पड़ा है. गांव वालों ने गड्ढे में गिरे चीतल की सूचना वन विभाग की टीम को दी. जिसके बाद कुंवारपुर वन परिक्षेत्र के अधिकारी मौके पर पहुंचे. वन विभाग की टीम ने स्थानीय लोगों की मदद से चीतल को बाहर निकाला.
चीतल की मौत से नाराज हुए लोग: चीतल के सेप्टिक टैंक से निकालने के बाद उसे जंगल की छोड़ने की तैयारी थी तभी जख्मी चीतल ने दम तोड़ दिया. स्थानीय लोगों का कहना है कि जंगल से लगे होने के कारण इस इलाके में अक्सर जंगली जानवर चले आते हैं. अक्सर आवारा कुत्ते इन जंगली जानवरों पर जानलेवा हमला कर देते हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि वन विभाग को इन जानवरों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए. गांव वालों ने कहा कि आवारा कुत्तों को संख्या नियंत्रित करने के लिए जो भी कानूनी प्रावधान हैं उसका पालन किया जाना चाहिए.
कुंवारपुर वन परिक्षेत्र: ग्रामीण चाहते हैं कि वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए वन विभाग को ठोस कदम उठाने चाहिए. इसमें आवारा कुत्तों की समस्या का समाधान करना और वन्यजीवों के लिए सुरक्षित माहौल बनाना जरुरी है. ग्रामीणों की मांग है कि वन विभाग वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए आवश्यक उपाय करे और सुनिश्चित करे कि ऐसी घटनाएं भविष्य में फिर न हों.
जंगली जानवरों का रहवास है ये क्षेत्र: कुंवारपुर वन परिक्षेत्र में बड़ी संख्या में जंगली जानवर रहते हैं. यहां अक्सर भालू, हाथी और हिरण और चीतल देखे जाते हैं. घना जंगल होने के चलते यह क्षेत्र जंगली जानवरों के लिए अच्छा रहवास माना जाता है. कई बार तो गर्मियों में भालू यहां रिहायशी इलाकों में खाना और पानी की तलाश में पहुंच जाते हैं. इलाके में जंगली जानवरों की बहुतायात होने से शिकारी भी इस इलाके में एक्टिव रहते हैं.