पति की हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रही केमिस्ट्री की महिला प्रोफेसर की दलील सुन मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के जज भी हैरान रह गए। इसका वीडियो काफी तेजी से वायरल हो रहा है।
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जस्टिल विवेक अग्रवाल और जस्टिस देवनारायल मिश्रा की पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है। महिला प्रोफेसर पर आरोप है कि उसने पति को इलेक्ट्रिक शॉक देकर मार दिया। इस मामले में उसको सेशन कोर्ट से उम्रकैद की सजा भी दी गई है।
केमिस्ट्री प्रोफेसर की दलील सुन जज हैरान
- सुनवाई के दौरान ममता से उनके पति रिटायर डॉक्टर नीरज पाठक को बिजली का करंट देकर हत्या करने के आरोपों के बारे में पूछा गया।
- उन्होंने बहुत ही शांति से जवाब देते हुए कहा कि माननीय, पोस्टमॉर्टम में थर्मल और इलेक्ट्रिक बर्न्स के बीच अंतर करना संभव नहीं है। जब करंट शरीर से गुजरता है, तो धातु के कण ऊतकों में जम जाते हैं, जिन्हें केवल HCL या नाइट्रिक एसिड में घोलकर लैब में पहचाना जा सकता है।
- उन्होंने आगे कहा कि पोस्टमॉर्टम रूम आमतौर पर इलेक्ट्रिक और थर्मल बर्न्स के बीच अंतर करने के लिए सुसज्जित नहीं होते। उनके इस सटीक और वैज्ञानिक स्पष्टीकरण ने जज को कुछ पल के लिए चौंका दिया।
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यह था पूरा मामला
- सन 2021 में डॉ. नीरज पाठक की ग्वालियर स्थित उनके आवास पर रहस्यमय परिस्थितियों में मृत्यु हो गई थी। शुरुआत में ममता ने दावा किया कि वह उस समय अपने बेटे के साथ झांसी में थीं। हालांकि, पुलिस की जांच में एक गहरी साजिश का खुलासा हुआ।
- जांचकर्ताओं के अनुसार ममता ने अपने पति को नींद की गोलियां देकर बेहोश किया। उसके बाद उन्हें बिजली का करंट दिया। अभियोजन पक्ष का मामला तब और मजबूत हुआ, जब एक ऑडियो क्लिप सामने आई। उसमें डॉ. पाठक को यह कहते सुना गया कि उनकी पत्नी उन्हें प्रताड़ित कर रही थीं।
- सन 2022 में सत्र न्यायालय ने ममता को दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुना दी। उन्होंने हाईकोर्ट में इस फैसले के खिलाफ अपील कर जमानत हासिल कर ली।
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