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जिंदगी की जंग हारी ‘चेतना’, 10 दिन बाद बोरवेल से बाहर निकाली गई, डॉक्टरों ने किया मृत घोषित 

राजस्थान के अलवर के कोटपूतली में फंसी तीन साल की चेतना को आखिरकार दसवें दिन बोरवेल से निकाल लिया गया, जहां डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया. 170 फीट गहरे टनल से बच्ची को निकालकर अस्पताल में एडमिट कराया गया था.

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बताया जा रहा है कि डाक्टर ने तीन साल की बच्ची चेतना को मृत घोषित कर दिया और उसके शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया. कोटपुतली के बीडीएम अस्पताल में पोस्टमार्टम चल रहा है.

घटना की पूरी टाइमलाइन!

23 दिसंबर: सोमवार की दोपहर करीब 1:30 बजे खेलते समय चेतना एक बोरवेल में गिर गई। यह खबर मिलते ही पूरे इलाके में चिंता का माहौल बन गया।

24 दिसंबर: बच्ची को 150 फीट गहरे गड्ढे से 30 फीट ऊपर खींच लिया गया, लेकिन उसके बाद वह वहां फंस गई. इस कदम से उम्मीद जगी थी, लेकिन चुनौती भी बनी रही.

25 दिसंबर: पाइलिंग मशीन से बचाव कार्य शुरू करने से पहले, JCB की मदद से गड्ढा खोदने का काम शुरू किया गया. लगातार गड्ढे में ऑक्सीजन पहुंचाई जा रही थी. हालांकि, कैमरे में बच्ची की हरकतें नहीं देखी जा रही थीं, जिससे भारी चिंता हो रही थी.

26 दिसंबर: उत्तराखंड से एक विशेष टीम को बुलाया गया, जिसके बाद पाइलिंग मशीन से लगातार खुदाई की गई. इस दौरान रुक-रुक कर हो रही बारिश से बचाव कार्य में काफी मुश्किलें आईं.

27 दिसंबर: रैट होल माइनर्स की टीम को मौके पर बुलाया गया.

28 दिसंबर: बोरवेल गड्ढे के बगल में 170 फीट गहरा गड्ढा खोदा गया. इसमें केसिंग डालने और खुदाई का काम भी पूरा कर लिया गया. एनडीआरएफ की टीम सुरक्षा उपकरणों के साथ 90 डिग्री पर लगभग 10 फीट अंदर एक सुरंग बनाने के लिए उतरी.

29 दिसंबर: 170 फीट गहरा गड्ढा खोदकर एक एल-आकार की खुदाई गई.

30 दिसंबर: सुरंग की खुदाई का काम पूरा हुआ, लेकिन सुरंग से निकल रही अज्ञात गैस के कारण सांस लेने में मुश्किल हो रही थी, जिससे बचाव टीम बच्ची तक नहीं पहुंच सकी.

31 दिसंबर: सुरंग खोदने के बावजूद बोरवेल का पता नहीं चल रहा था. इसके बाद और 4 फीट की सुरंग खोदी गई, जिसके बाद बोरवेल का पता चला.

1 जनवरी: चेतना को आखिरकार बोरवेल से निकाल लिया गया. उसे अस्पताल में एडमिट कराया गया, लेकिन डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया.

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