उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले में धर्मांतरण मामले के मुख्य आरोपी जमालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा पर अब सरकारी जमीन कब्जा करने और दस्तावेजों में हेराफेरी जैसे गंभीर आरोप सामने आ रहे हैं. जांच में पता चला है कि बाबा ने धर्मांतरण से मिली विदेशी फंडिंग के जरिए करोड़ों की संपत्ति खड़ी की और उतरौला में बेशकीमती परिसरों का निर्माण कराया.
सूत्रों के मुताबिक, बाबा ने उतरौला के पटेल नगर इलाके में स्थित सरकारी कुंडवा तालाब को पहले पाट दिया, फिर सरकारी कागजों में हेराफेरी कराकर उस जमीन पर करीब 30,000 स्क्वायर फीट की अवैध प्लॉटिंग शुरू कर दी. सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि बाबा ने पहले इस जमीन को कुछ गरीब लोगों के नाम दिखाया और फिर उन्हीं से जमीन अपने करीबी नीतू उर्फ नसरीन के नाम 93 लाख रुपये में खरीद ली.
इस मामले में तत्कालीन ADM बलरामपुर ने उतरौला नगर पालिका को लिखित में शिकायत भी भेजी थी कि सरकारी तालाब की जमीन को पाटकर प्लॉटिंग की जा रही है और इसे तुरंत रोका जाए, लेकिन प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की.
लोगों ने बताया कि बाबा ने इलाके में सांसद निधि से बनी पुलिया को भी बंद कर कब्जा कर लिया. जिस पुलिया से हर साल बाढ़ का पानी निकलता था, उसे पाट देने के कारण अब मोहल्ले में बारिश में जलजमाव की समस्या गहराने लगी है.
यूपी एटीएस कई बिंदुओं पर कर रही गहन जांच
छांगुर बाबा मामले में यूपी एटीएस की जांच लगातार जारी है. एजेंसी इस केस से जुड़े कई बिंदुओं और पहलुओं की गहराई से जांच कर रही है. हालांकि, फिलहाल यह लाइव इन्वेस्टिगेशन है, इसलिए अधिकारी किसी भी तरह की आधिकारिक टिप्पणी से बच रहे हैं.
सूत्रों के मुताबिक, मामले की तह तक जाने के लिए अगर आवश्यकता पड़ी, तो किसी अन्य एजेंसी की मदद भी ली जा सकती है. एटीएस फिलहाल इस केस में डेमोग्राफिक बदलाव और इस्लामिक एंगल पर भी बारीकी से जांच कर रही है, लेकिन इस संबंध में अधिकारी अभी कुछ भी कहने से बच रहे हैं. एटीएस ने स्पष्ट कर दिया है कि जो भी व्यक्ति इस मामले में आर्थिक या शारीरिक रूप से शामिल पाए जाएंगे, उनके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी.