छत्तीसगढ़ भाजपा के दिग्गज नेता अब ‘मार्गदर्शक’ पंक्ति में! कैबिनेट विस्तार में नहीं मिली जगह, जानिए वजह…

कुरुद: वैसे तो कहा जाता है कि राजनीति में कोई भी पद स्थाई नहीं होते लेकिन जिन्हें लगता था कि वे संगठन में चाणक्य की भूमिका में है, आज संगठन के मार्गदर्शक मंडल वाली पंक्ति में नजर आने लगे है. छत्तीसगढ़ में अब वोट बैंक मैनेजमेंट का फार्मूला चल रहा है. आदिवासी, ओबीसी और दलित चेहरों को ज्यादातर की पहली बार विधायक बने नेताओं को मंत्री बनाकर वहीं ऊर्जा का संदेश और पुराने चेहरों को धीरे धीरे किनारे लगाकर जनरल नॉलेज क्विज का हिस्सा बना देना यानि अब चुनावी राजनीति में पुरानी फाइलें क्लोज कर उनकी जगह नए ऐप डाउनलोड कर लिए गए हैं.
दिग्गज राजनेताओं की राजनीति के दिन लद गए?
छत्तीसगढ़ भाजपा की राजनीति में कभी जिन नेताओं के बिना तस्वीर अधूरी लगती थी, अमर अग्रवाल, अजय चंद्राकर, राजेश मूणत, धरमलाल कौशिक, रेणुका सिंह, लता उसेंडी और विक्रम उसेंडी आज वही “किंग मेकर” साइडलाइन की कुर्सी पर बैठा दिए गये हैं. 2023 में मंत्रिमंडल गठन के साथ ही यह साफ हो गया था कि पार्टी अब युवा जोश और नए चेहरे को आगे करेगी. लेकिन उम्मीदें कहां ख़त्म होती हैं. उम्मीदें थीं कि मंत्रीमंडल का जब विस्तार होगा तो जगह मिलेगी. लेकिन बुधवार को हुए विस्तार में भी तीनों पहली बार के विधायकों को ही मंत्री बना देने के बाद अब सवाल उठने लगे हैं कि क्या भाजपा के इन दिग्गज राजनेताओं की राजनीति के दिन लद गए?
भाजपा में वहीं होता है, जो मोदी और शाह चाहते हैं 
भाजपा में अब केवल वही होता है जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह चाहते हैं. भाजपा की राजनीति में बने मापदंड और सारे गणित के आंकड़े इन दोनों नेताओं की जोड़ी ने तोड़ कर रख दिए हैं. इस जोड़ी ने अपनी तरह की राजनीति की परिभाषा गढ़ी और आज सत्ता के केंद्र में है. छत्तीसगढ़ के मामले में भी यह बात बहुत साफ है कि ताजा मंत्रिमंडल विस्तार में भी ऊपर में जो फैसले लिए गये उस पर ही राज्य में मुहर लगी.
भूपेश बघेल के तंज पर अजय चंद्राकर का पलटवार
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस पूरे घटनाक्रम पर चुटकी लेते हुए कहा कि भाजपा के जिन वरिष्ठ नेताओं को दरकिनार कर दिया गया है, अगर उनमें जरा भी आत्म सम्मान बचा है तो उन्हें अब संघर्ष का रास्ता अपनाना चाहिए. अजय चंद्राकर, अमर अग्रवाल, धरमलाल कौशिक, रेणुका सिंह जैसे बहुत सारे ऐसे वरिष्ठ नेता हैं, जिसको एक लाइन से खारिज कर दिया गया. हालांकि इस पर डिप्टी सीएम विजय शर्मा, रामविचार नेताम, अजय चंद्राकर जैसे नेताओं ने पलटवार करते हुए उन्हें अपने व अपनी पार्टी की चिंता करने की नसीहत दी है.
अब पुराने स्टेशनों पर नहीं रुकेगी मंत्रिमंडल की गाड़ी
बघेल का यह बयान सीधे भाजपा के भीतर हासिए पर धकेल गए नेताओं पर तीर की तरह चूभा है, जो इन दिग्गजों के मन में पार्टी के मौन संकेत को लेकर मौजूद है. सवाल यह है कि क्या अब इन नेताओं की राजनीति का गेम ओवर हो चुका है?  शायद इसका जवाब होगा की पूरी तरह तो नहीं. राजनीति क्रिकेट नहीं है कि 35 की उम्र होते ही रिटायरमेंट अनिवार्य हो लेकिन पार्टी ने साफ बता दिया है कि अब उनका नंबर रिजर्व बेंच पर है. जन आधार बचा तो टिकट मिल सकता है. संगठन में उपयोगी साबित हुए तो सलाहकार पद भी मिल सकता है. लेकिन मंत्रिमंडल की गाड़ी अब शायद ही पुराने स्टेशनों पर रूकेगी.
अगली टिकट क्षेत्रीय समीकरण पर टिका हुआ है
कहावत है राजनीति में कोई स्थाई मित्र या शत्रु नहीं होता, लेकिन छत्तीसगढ़ भाजपा ने यह भी साफ कर दिया है कि होंगे वरिष्ठ लेकिन भाजपा में किसी के लिए कोई भी पद स्थाई नहीं होते. अगले विधानसभा चुनाव में टिकट मिलेगा या नहीं यह पूरी तरह क्षेत्रीय समीकरणों पर टिका हुआ है. अगर किसी सीट पर नया चेहरा खप नहीं पाया तो पुराने घोड़े को दोबारा उतारा जा सकता है. लेकिन अगर नया खिलाड़ी जम गया तो फिर अनुभवी नेता की टिकट इतिहास की किताब में ही मिलेगी.
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