छत्तीसगढ़ में कोयला परमिट के दुरुपयोग का मामला सामने आया है, जिसमें 570 करोड़ रुपये के कोल लेवी घोटाले का खुलासा हुआ है। ईडी और संबंधित विभागों की जांच में पता चला कि कोयला खनन और लेवी संबंधी नियमों का उल्लंघन कर बड़ी रकम का गबन किया गया। इस मामले में 10 वरिष्ठ आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की गई है।
जांच में यह सामने आया कि कुछ अधिकारियों ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए निजी कंपनियों को कोयला खनन के लिए परमिट जारी किए और नियमों के अनुसार वसूली जाने वाली राशि का भुगतान नहीं कराया। इससे राज्य को बड़ी वित्तीय हानि हुई और करोड़ों रुपये की अनियमितता हुई। अधिकारियों के हस्तक्षेप से नियमों का उल्लंघन और भी स्पष्ट हुआ।
सूत्रों के अनुसार, यह घोटाला लंबे समय से चल रहा था और इसमें कोयला उद्योग से जुड़े उच्च पदस्थ अधिकारियों और अधिकारियों की मिलीभगत की आशंका जताई जा रही है। इस घोटाले की जांच में ईडी ने कई दस्तावेज और बैंक रिकॉर्ड की पड़ताल की है, जिससे अधिकारियों की संलिप्तता उजागर हुई।
जांच रिपोर्ट के आधार पर राज्य सरकार ने संबंधित विभागों को निर्देश दिए हैं कि वे शामिल अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें। इसके तहत कई आईएएस और आईपीएस अधिकारियों की सेवाओं की समीक्षा करने और उन्हें जिम्मेदारी तय करने की सिफारिश की गई है।
विशेषज्ञों का कहना है कि कोयला खनन और लेवी से जुड़ी जांच में पारदर्शिता की कमी और उच्च अधिकारियों की मिलीभगत अक्सर बड़े पैमाने पर अनियमितताओं को जन्म देती है। इस मामले में कार्रवाई होने से भविष्य में ऐसे घोटालों की रोकथाम में मदद मिलेगी और सरकारी खजाने की हानि कम होगी।
राज्य प्रशासन ने भी कहा है कि इस मामले की पूरी जांच कर दोषियों को सख्त से सख्त दंड दिया जाएगा। अधिकारियों की संलिप्तता से जुड़े अन्य पहलुओं की भी जांच जारी है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि भविष्य में किसी भी प्रकार की अनियमितता दोबारा न हो।
इस घोटाले की खबर आने के बाद आम जनता और विपक्ष ने भी कार्रवाई की मांग तेज कर दी है। सरकार और जांच एजेंसियों के कदम अब पूरे राज्य में सुर्खियों में हैं, और यह मामला राज्य प्रशासन के प्रति लोगों की जागरूकता और जवाबदेही की भी कसौटी बन गया है।