सूरजपुर: ग्राम पंचायत गोंदा में विकास कार्यों के नाम पर भ्रष्टाचार का बड़ा खेल उजागर हुआ है. पंचायत के पूर्व सरपंच प्रेमा एक्का, उपसरपंच संतोषी राजवाड़े और सचिव आनंद सिंह मरावी पर आरोप है कि इन तीनों ने मिलकर लाखों रुपये के कार्य कागजों में पूरे दिखाकर फंड की बंदरबांट कर डाली. ग्रामीणों की शिकायत पर जब जिला पंचायत सूरजपुर की टीम ने जांच की तो सारी पोल खुल गई.
कौन-कौन से काम कागजों में हुए पूरे?
ग्रामीणों की शिकायत के मुताबिक पंचायत में 15वें वित्त आयोग से फंड जारी कर पांच बड़े काम स्वीकृत हुए थे-
5 नहानी घर – लागत ₹3 लाख, सोलर पैनल स्ट्रीट लाइट – लागत ₹1,44,200, नाली निर्माण – लागत ₹3,50,000, हैंडपंप चबूतरा मरम्मत – लागत ₹80,000, कच्ची सड़क में मुरमीकरण मरम्मत – लागत ₹4,92,000 कुल मिलाकर लगभग ₹13 लाख से अधिक राशि पंचायत के खाते से निकाल ली गई, लेकिन जमीनी स्तर पर कोई भी काम नहीं हुआ.
जांच में खुलासा – सब कागजों पर
ग्रामीणों ने 24 जून 2025 को कलेक्टर सूरजपुर को लिखित शिकायत दी थी. इसके बाद 26 सितंबर 2025 को जिला पंचायत सूरजपुर की टीम मौके पर पहुंची. टीम में कार्यपालन अभियंता संजय कुमार, उपसंचालक जिला पंचायत विक्रम बहादुर, एसडीओ प्रतापपुर हरिनारायण राज, और कार्यरोपण अधिकारी सुरेश सिंह शामिल थे.
जांच के दौरान सभी पांचों कार्यों का न होना पाया गया। कागजों में कार्य पूर्ण दर्शाकर राशि आहरित कर ली गई थी. शिकायत पूरी तरह सही पाई गई.
ग्रामीणों का गुस्सा – चेतावनी दी
ग्राम पंचायत गोंदा के सैकड़ों ग्रामीण जांच के दौरान मौजूद रहे। उन्होंने जांच अधिकारियों के सामने जोरदार आक्रोश प्रकट करते हुए कहा—
“यदि दोषियों पर सख्त कार्रवाई नहीं हुई तो हम उग्र आंदोलन करेंगे और सड़क पर उतरने को मजबूर होंगे.”
जांच अधिकारियों ने ग्रामीणों को आश्वासन दिया कि पूरा मामला कलेक्टर के संज्ञान में लाया जाएगा और दोषियों के खिलाफ कार्यवाही सुनिश्चित होगी.
भ्रष्टाचार की एक और परत
ग्राम पंचायत गोंदा का यह मामला सिर्फ स्थानीय स्तर का भ्रष्टाचार नहीं, बल्कि प्रशासनिक लापरवाही का भी उदाहरण बनकर सामने आया है. ग्रामीणों का कहना है कि यदि समय रहते निगरानी होती तो लाखों का गबन नहीं हो पाता.
अब सवाल यह है कि क्या कलेक्टर सूरजपुर दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करेंगे या यह मामला भी बाकी भ्रष्टाचार की फाइलों की तरह धूल फांकता रह जाएगा.