छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट की डीएफओ पर टिप्पणी, कहा- “कौन हैं, क्या पढ़ा है”

बिलासपुर: बिलासपुर जिले में स्थित शक्तिपीठ रतनपुर के महामाया कुंड में मृत मिले कछुओं की मौत के मामले में पुजारी को अभियुक्त बनाया गया है. आरोपी के खिलाफ वन संरक्षण अधिनियम की धारा 9 के तहत मामला दर्ज किया गया. इस मामले में पुजारी और संस्था के उपाध्यक्ष सतीश शर्मा ने अपनी जमानत के लिए अधिवक्ता के माध्यम से उच्च न्यायालय में एक याचिका लगाई. इस मामले में सोमवार को मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा की बेंच में सुनवाई हुई. इस दौरान 16 अप्रैल 2025 के आदेश के परिपालन में बिलासपुर डीएफओ और नगर पालिका रतनपुर ने भी शपथपत्र में जवाब पेश किया है.

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बिलासपुर डीएफओ की तरफ से शपथ पत्र में पुजारी सतीश शर्मा के खिलाफ वन संरक्षण अधिनियम की धारा 9 के तहत मामला दर्ज किए गए हैं. इसके खिलाफ याचिकाकर्ता के वकील ने अपना पक्ष रखा और कहा कि ये धारा शिकार किए जाने पर लगाई जाती है जबकि उनके पक्षकार ने सफाई को लेकर के पहले ट्रस्ट की समिति के निर्णय के बाद मंदिर के मुख्य गेट को खुलवाया था. उन्होंने कोई शिकार नहीं किया.

कोर्ट ने पूछा कि रात को 12:00 बजे कौन सी सफाई होती है..? जिस पर अधिवक्ता ने कहा कि मंदिर परिसर के अंदर होने के कारण ऐसा किया गया. श्री सिद्ध शक्तिपीठ महामाया मंदिर ट्रस्ट समिति ने 2 मार्च 2025 को बैठक लेकर नवरात्रि के पहले मंदिर, गार्डन और तालाब की साफ सफाई किया जाना सर्वसम्मति से पारित किए जाने का तर्क रखा. वही यह भी कहा गया कि वन संरक्षण अधिनियम की धारा 9 वन्यजीवों के शिकार को रोकने के लिए लगाई जाती है वहीं धारा 51 पेनल्टी के लिए लगाई जाती है, जिसमें वनों और सेंचुरी में किए गए अपराध पर 7 साल की सजा का प्रावधान है.

हाईकोर्ट की डीएफओ पर टिप्पणी: सरकारी अधिवक्ता ने यह बताया कछुआ वन संरक्षण अधिनियम 1972 के अनुसूची एक में आता है. जिसके बाद हाई कोर्ट की बेंच ने यह टिप्पणी की “ये डीएफओ कौन हैं, क्या पढ़ा है..? आईएफएस रैंक अधिकारी हैं, उन्हें यह नहीं मालूम कF किस अपराध में क्या मुकदमा दायर करना चाहिए. डीएफओ ने किस तरह एआईआर दर्ज किया है.”

उसके बाद सरकारी अधिवक्ता ने बताया कि 3 गवाहों के बयान पर अपराध दर्ज किया गया है. सीसीटीवी फुटेज में भी मामला सामने आया. वही दोनों पक्षों को सुनते हुए बेंच ने याचिकाकर्ता की बेल स्वीकार कर ली है. मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा की एकलपीठ ने महामाया मंदिर ट्रस्ट के उपाध्यक्ष सतीश शर्मा को अग्रिम जमानत दी है. सुनवाई के दौरान अदालत ने न सिर्फ आरोपी के खिलाफ लगाए गए आरोपों की वैधता पर सवाल उठाए, बल्कि मामले में कार्रवाई कर रहे डीएफओ की योग्यता और कानूनी जानकारी पर भी तीखी टिप्पणी की.

जानिए 23 कछुओं की मौत का पूरा मामला: रतनपुर के महामाया मंदिर के कुंड में नवरात्रि से पहले 25 मार्च को 23 कछुओं की मौत हो गई थी. मामले में ट्रस्ट के उपाध्यक्ष और मंदिर के पुजारी सतीश शर्मा के खिलाफ FIR दर्ज की गई. आरोपी सतीश शर्मा ने हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दायर की है. 16 अप्रैल को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि आवेदक महामाया मंदिर का मुख्य पुजारी है. ट्रस्ट ने फैसला लिया कि मंदिर से लगे तालाब की सफाई कराई जाएगी. मछुआरों को इसका ठेका दिया गया. सफाई के दो दिन बाद मरे हुए कछुए पाए गए. इस पर वन विभाग को मौके पर बुलाया गया. कथित आरोपी के वकील ने बताया था कि ट्रायल कोर्ट ने अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी.

हाईकोर्ट ने मामले को स्वत संज्ञान के तौर पर लिया. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से वकील ने कहा कि ट्रस्ट के अध्यक्ष आशीष सिंह ठाकुर हैं. मेरा पक्षकार उपाध्यक्ष और पुजारी है. तालाब की सफाई करने वाले मछुआरों को ट्रस्ट के आदेश पर अंदर आने दिया गया था. तालाब सफाई का काम ट्रस्ट की तरफ से किया गया था.

सरकारी वकील की ओर से कहा गया कि मामले में ठेकेदार आनंद जायसवाल के साथ मछुआरे अरुण और विष्णु धीवर भी आरोपी हैं. दोनों अभी जेल में बंद है. हाईकोर्ट ने नगर पालिका परिषद को भी तलब किया था. पिछली सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने पूछा था कि कौन-कौन आरोपी हैं. इसमें और कितने लोगों के खिलाफ FIR हुई है. इसमें ट्रस्ट का रोल क्या है..? इन सब सवाल के जवाब को लेकर सोमवार को कोर्ट में डीएफओ बिलासपुर ने हलफनामा पेश किया.

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