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धरोहर को संरक्षित और सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी जनजातीय समाज के साथ-साथ हम सबकी: जशपुर कलेक्टर

कलेक्टर रोहित व्यास की अध्यक्षता में जिला मुख्यालय स्थित जिला संग्रहालय में जिला पुरात्वत संघ की बैठक आयोजित हुई. बैठक में उपस्थित संघ के सदस्यों को अवगत कराते हुए बताया गया कि संग्रहालय में गौरवशाली परम्पराओं और जनजातियों समुदायों की संस्कृति का सुंदर समावेश किया गया है. इस अवसर पर पद्श्री जागेश्वर यादव, जिला पंचायत सीईओ अभिषेक कुमार, एसडीएम ओंकार यादव, डिप्टी कलेक्टर विश्वास राव मस्के सहित भूतपूर्व प्राचार्य विजय रक्षित, पुरातत्व संघ के सदस्य और विभिन्न जनजातीय समाज के समाज प्रमुख उपस्थित थे.

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कलेक्टर ने कहा कि धरोहर को संरक्षित और सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी जनजातीय समाज के साथ-साथ हम सबकी है. इसके लिए सार्थक प्रयास करना होगा. उन्होंने कहा कि पुरात्वत संग्राहालय की देख-रेख करने के लिए कर्मचारियों की भी आवश्यकता पड़ेगी. उन्होंने कहा कि हमारे वर्तमान पीढ़ी के युवाओं और आने वाले पीढ़ी के युवाओं को पुरात्वत की जानकारी हो सके और उनकी आदिवासी संस्कृतियों के बारे में रूबरू कराने के लिए यहॉ का संग्राहलय अच्छा उदाहरण है. इस पर समिति के सभी सदस्यों ने अपनी सहमति दी. जनजाति समाज के समाज प्रमुखों ने अपने-अपने विचार व्यक्त करते हुए सांस्कृति धरोहर को और किस प्रकार से सहेज कर रखा जा सकता है के बारे में अपने-अपने विचार व्यक्त किए. अलग-अलग जनजातियों के रहन-सहन, खान-पान, वेश-भुषा सहित अन्य जानकारियों को भी संग्रहित करके कैसे रखा जा सकता है इस पर भी विचार किया गया.

कलेक्टर ने कहा कि ग्राम पंचायतों में एक पुरात्वत समिति बनाकर गांव का कोई विशेष धरोहर है तो उससे भी संग्राहलय में संग्रहित करके रखा जा सकता है. उन्होंने कहा कि कोई जनजाति समाज का या व्यक्ति प्राचीन कालीन धरोधर या वस्तु को संग्राहलय में देना चाहता है तो उसका नाम सिलालेख पटिका में अंकित किया जाएगा और उनको स्वतंत्रता दिवस व गणतंत्र दिवस पर सम्मानित भी किया जाएगा.

इस दौरान जानकारी देते हुए बताया गया कि संग्राहलय में 13 जनजाति समुदाय के जीवन शैली से संग्रहीत पुरातत्व चीजों सहित जनजातियों के संस्कृति, उनके रहन सहन, रीति रिवाज, आभूषण, औजार, दैनिक जीवन में उपयोग की जाने वाली वस्तुओं की जानकारी रखी गई है.

उल्लेखनीय है कि जिला प्रशासन के द्वारा जिले में अपने आप में अनूठा और आकर्षक पुरातत्व संग्रहालय जिला खनिज न्यास निधि संस्थान से 25 लाख 85 हजार की लागत से बनाया गया है. संग्रहालय का लाभ जशपुर जिले के आस-पास के विद्यार्थियों को मिल रहा है. पुरातात्विक ऐतिहासिक चीजों को बचाने एवं संरक्षित रखने हेतु अत्यंत लाभकारी सिद्ध हो रही है. संग्राहलय में 13 जनजाति बिरहोर, पहाड़ी कोरवा, असूर जनजाति, उरांव, नगेशिया, कवंर, गोंड, खैरवार, मुण्डा, खड़िया, भूईहर, अघरिया आदि जनजातियों की पुरानी चीजों को संग्रहित करके रखा गया है. संग्राहलय में तीन कमरा, एक गैलरी को मूर्त रूप दिया गया है.

संग्रहालय में लघु पाषाण उपकरण, नवपाषाण उपकरण, ऐतिहासिक उपकरणों को रखा गया है. साथ ही भारतीय सिक्के 1835 से 1940 के सिक्कों को संग्रहित करके रखा गया है. संग्रहालय में मृदभांड, कोरवा जनजाति के डेकी, आभूषण, तीर-धनुष, चेरी, तवा, डोटी, हरका, प्रागैतिहासिक काल के पुरातत्व अवशेष के शैलचित्र को भी रखा गया है. साथ ही जशपुर में पाए गए शैल चित्र के फोटोग्राफ्स को भी रखा गया है. अनुसूचित जनजाति के सिंगार के सामान चंदवा, माला, ठोसामाला, करंज फूल, हसली, बहुटा, पैरी, बेराहाथ आदि को भी संरक्षित किया गया है. संग्राहलय में चिम्टा, झटिया, चुना रखने के लिए गझुआ, खड़रू, धान रखने के लिए, नमक रखने के लिए बटला, और खटंनशी नगेड़ा, प्राचीन उपकरणों ब्लेड, स्क्रेपर, पाईट को संग्रहित किया गया हैं.

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