प्रदेश में शासन द्वारा फसलों के प्रसंस्करण, नवाचार और उत्पादित फसलों के लिए विपणन के तौर-तरीकों का प्रशिक्षण देकर उनके आय में वृद्धि के साथ ही जीवनस्तर में सुधार के लिए कई कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं. इसके तहत जिला प्रशासन और राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन की तरफ से जशपुर के वशिष्ठ कम्युनिटी हॉल में कटहल मेले का आयोजन किया गया. इस मेले में कटहल की उपयोगिता, अधिक उत्पादन के लिए वैज्ञानिक तकनीकों के प्रयोग, कटहल से नवाचार एवं इससे बनने वाले अन्य उत्पादों के बारे में जानकारी दी गयी. कार्यक्रम में अतिथियों को एक पेड़ मां के नाम अभियान के तहत कटहल का पौधा और स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित भी किया गया. मेले में प्रकृति सेवा संस्थान बिलासपुर के द्वारा तकनीकी सहयोग दिया गया है.
मेले में कटहल से संबंधित विभिन्न प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जाएंगी. इसमें किसानों द्वारा लाए गए सबसे बड़े और सबसे लंबे कटहल को पुरस्कृत किया गया. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर विधायक श्रीमती रायमुनी भगत, जशपुर नगर पालिका अध्यक्ष अरविंद भगत, जशपुर जनपद पंचायत अध्यक्ष गंगाराम भगत, डीडीसी शांति भगत, कलेक्टर रोहित व्यास, पुलिस अधीक्षक शशिमोहन सिंह, जिला पंचायत सीईओ अभिषेक कुमार, बीटीसी कॉलेज बिलासपुर के डॉ. आर.के.एस. तिवारी, कृषि महाविद्यालय के डॉ. योगेन्द्र कुमार, केवीके जशपुर अनीता लकड़ा, डीएमएम विजय शरण प्रसाद सहित कृषि विशेषज्ञ मौजूद रहे.
इस अवसर पर कार्यक्रम की मुख्य अतिथि विधायक रायमुनी भगत ने आयोजकों को बधाई दी और कहा की कटहल जशपुर के मुख्य फल उत्पाद में से एक है. किसानों के लिए यह एक आजीविका का साधन भी है. उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वज पहले से ही कटहल का मौसम बीत जाने के बाद इसे सूखाकर सहेजा करते थे जो साल भर खराब नहीं होता था. खाद्य पदार्थों की कमी होती थी तब कटहल खाद्य सुरक्षा में सहायक का कार्य करता था. फिर भी बहुत सा अधिक उत्पादित कटहल गायों को खिला दिया करते थे. विधायक रायमुनी भगत ने कहा कि पुरातन विधियों के साथ नवीन वैज्ञानिक विधि से कटहल का प्रसंस्करण एवं मूल्यवर्धन कर किसानों की आय में वृद्धि करना इस मेले का उद्देश्य है. जिले में बड़े पैमाने पर कटहल का उत्पादन होता है. जिससे देखते हुए किसानों की आय में वृद्धि में कटहल अहम भूमिका निभा सकता है. कटहल के प्रसंस्करण के क्षेत्र में नए नए अविष्कार हो रहे हैं. कई बीमारियों के उपचार में भी कटहल अहम भूमिका निभा सकता है. उन्होंने महिला समूहों और किसानों को शासन की विभिन्न योजनाओं का लाभ उठा कर कटहल के प्रसंस्करण हेतु कुटीर उद्योग स्थापित करने के लिए प्रेरित करने के निर्देश दिए.
कलेक्टर रोहित व्यास ने अपने संबोधन में कटहल को एक चमत्कारी फल की संज्ञा देते हुए कहा कि जिले में यह बहुतायत में उत्पादित होता है. कटहल में विटामीन सी, विटामिन ए, मैग्नीश्सियम, फाइबर और अन्य पोषक तत्व शामिल है. उन्होंने कहा कि कटहल के फायदों को जन जन तक पहुंचाने की आवश्यकता है. इसके प्रसंस्करण एवं संवर्धन के लिए जिले में विभिन्न प्रयास किये जा रहे हैं. महिला स्वसहायता समूहों को इससे आचार, पापड़ जैसे उत्पाद बनाने के लिए प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है. प्रसंस्करण के बाद उसके विपणन के लिए बाजार भी उपलब्ध कराए जा रहे हैं. कटहल के उत्पादन को बढ़ाने के लिए जिला प्रशासन द्वारा अग्रणी किसानों को उन्नत किस्म के कटहल के पौधे उपलब्ध कराने हेतु नवीन योजना का भी निर्माण किया जा रहा है. जिससे इसके अधिक उत्पादन कर ज्यादा से ज्यादा लाभ प्राप्त किया जा सके.
मेले में सबसे बड़े और लंबे कटहल लाने वाले किसान हुए पुरस्कृत
मेले में किसानों द्वारा सबसे बड़े और लंबे कटहल लाने वाले किसानों को पुरस्कार राशि और प्रतिक चिन्ह भेंट किया गया. इसके तहत कुरमीटिकरा, पत्थलगावं के त्रिलोचन सिंह को उनके द्वारा लाए गए 36.63 किलो कटहल के लिए प्रथम पुरस्कार स्वरूप 5001 रूपए की राशि दी गई. इसी तरह जुरतेला जशपुर के फलिन्दर सिंह को 28.07 कटहल के लिए 3001 रूपए पुरस्कार राशि और जुरगुम जशपुर के चिंता सिंह को उनके कटहल 26.71 किलो के लिए तीसरा पुरस्कार 2001 रूपए की राशि दी गई.
विटामिन, फाइबर, एंटीऑक्सीडेंट पोषक तत्वों से भरपूर है कटहल
मेले में कृषि विशेषज्ञों द्वारा कटहल में पाए जाने वाले पोषक तत्वों की जानकारी दी गई. मेले मे बताया गया कि कटहल में भरपूर मात्रा में विटामिन, फाइबर, और एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं. जो की वजन कम करने में सहायक होता है. इसके साथ ही डायबिटिज में भी सहायक है. यह इम्यूनिटी बढ़ाता है और ह्रदय के स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है. मेले में कटहल से बने आचार, पापड़, चिप्स सहित अन्य उत्पाद को प्रदर्शित किया गया था.
इस मेले में कृषि महाविद्यालय कुनकुरी, उद्यानिकी महाविद्यालय कुनकुरी, कृषि विभाग, वन विभाग, उद्यानिकी विभाग, कृषि विज्ञान केंद्र, 10 योजना के अंतर्गत गठित कृषक उत्पादक संगठन, नाबार्ड द्वारा पोषित रीड्स संस्था एवं राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत कार्यरत प्रत्येक विकासखंड के संकुल संगठनों से जुड़ी स्वयं सहायता समूहों की महिलाए शामिल हुई. यह मेला न केवल कृषि आधारित व्यवसाय को बढ़ावा देने की दिशा में एक सशक्त पहल है, बल्कि गैर-कृषि क्षेत्र में भी स्वरोजगार एवं आर्थिक समृद्धि के अवसर प्रदान करेगा. जागरूकता कार्यक्रमों और प्रशिक्षण के माध्यम से स्वयं सहायता समूह की महिलाओं एवं ग्रामीण उद्यमियों को कटहल आधारित उद्योगों की स्थापना में सहायता प्रदान की जाएगी, जिससे कटहल फल का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित हो सकेगा.