मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने अपने गृह ग्राम बगिया में आश्रम शाला के बच्चों को अपने जन्मदिवस पर न्योता भोजन कराने की जो शुरूआत की थी. इसका एक सकारात्मक संदेश समाज के बीच गया है. इसे समाज द्वारा आत्ससात करते हुए आगे बढ़ाया भी जा रहा है. अब तक समाज और विभिन्न संगठन जशपुर जिले के 2275 स्कूलों में 2781 न्योता भोज का आयोजन कर अन्नदान की इस महान पंरपरा का निर्वहन कर चुके हैं. छत्तीसगढ़ में 30 हजार स्कूलों में 75 हजार से अधिक बार न्योता भोज का सफल आयोजन किया जा चुका है.
हमारे शास्त्रों में भी अन्नदान को महादान की संज्ञा दी गई है. दान देने की परम्परा हमारे समाज में प्राचीन काल से चली आ रही है. छत्तीसगढ़ में फसल की खुशी में छेरछेरा पर्व में दान देने की परंपरा है. छत्तीसगढ़ सरकार बच्चों में कुपोषण दूर करने के लिए समाज की इसी परम्परा का सहारा ले रही है. प्रधानमंत्री पोषण शक्ति योजना में समुदाय की भागीदारी जोड़ते हुए न्योता भोजन की अनूठी पहल की गई है. छत्तीसगढ़ में स्कूली बच्चों को अब नियमित रूप से मिल रहे भोजन के अलावा समाज के अग्रणी और सक्षम लोगों के जरिए न्योता भोजन में पौष्टिक और रूचिकर खाद्य सामग्री मिलेगी. ‘न्योता भोजन’ तीन प्रकार के हो सकते हैं – पूर्ण भोजन (शाला की सभी कक्षाओं हेतु), आंशिक पूर्ण भोजन (शाला के किसी कक्षा विशेष हेतु), अतिरिक्त पूरक पोषण सामग्री.
दान-दाताओं द्वारा प्रदान किया जाने वाला खाद्य पदार्थ अथवा सामग्री उस क्षेत्र के खान-पान की आदत (फुड हैबिट) के अनुसार होनी चाहिए. पूर्ण भोजन की स्थिति में नियमित रूप से दिये जाने वाले भोजन के समान बच्चों को दाल, सब्जी और चावल सभी दिया जाना है. फल, दूध, मिठाई, बिस्किट्स, हलवा, चिक्की, अंकुरित खाद्य पदार्थ जैसे सामग्री, जो बच्चों को पसंद हो का चुनाव अतिरिक्त पूरक पोषण सामग्री के रूप में किया जा सकता है. पौष्टिक एवं स्वादिष्ट मौसमी फलों का चयन भी पूरक पोषण सामग्री के रूप में किया जा सकता है. दानदाता स्कूली बच्चों को मौसमी फल, दूध, मिठाई, बिस्किट, हलवा, अंकुरित खाद्य पदार्थ आदि वितरित कर सकते हैं. न्यौता भोजन के लिए बच्चों की रूचि के अनुरूप दानदाता खाद्य पदार्थ का चयन कर सकते हैं.
इस योजना के संचालन के लिए शाला विकास समिति को जिम्मेदारी सौंपी गई है. न्योता भोजन प्रधानमंत्री पोषण शक्ति योजना मध्यान्ह भोजन में सामुदायिक जन भागीदारी पर आधारित इस कार्यक्रम का आयोजन विभिन्न संस्थाओं में जनप्रतिनिधि, पालक, समुदाय के सदस्य एवं शिक्षकों के माध्यम से करवाया जाता है. ’’न्योता भोजन’’ विभिन्न त्योहारों या अवसरों जैसे वर्षगांठ, जन्मदिन, विवाह और राष्ट्रीय पर्व आदि पर भारतीय परम्परा पर आधारित है. न्योता भोजन छात्र-शिक्षक एवं पालक समुदाय के बीच अपनेपन की भावना को विकसित करने का जरिया तो है ही साथ-साथ पोषण युक्त एवं रूचिकर भोजन दिए जाने से बच्चों की शालाओं में उपस्थिति में वृद्धि होती है. ’’न्योता भोजन’’ का एक अन्य उद्देश्य शाला एवं स्थानीय समुदाय के मध्य आपसी तालमेल को विकसित करना भी है.