पति के देहांत के बाद अंजना की आर्थिक स्थिति और भी खराब होती चली गयी. अब तीन बच्चों की जिम्मेदारी उनके ऊपर थी. बच्चों का पालन पोषण शिक्षा सहित अन्य खर्चों का भार उनके ऊपर आ गया था. कहते हैं ना कठिन परिस्थितियां इंसान की परीक्षा लेती है और अगर इंसान हिम्मत से काम ले तो वह इससे उबर कर और भी मजबूत हो जाता है. अंजना ने इसी तरह अपनी परिस्थितियों को बदलने की ठानी थी. ऐसी ही कहानी है फरसाबहार तहसील के छोटे से गांव अमडीहा में रहने वाली अंजना तिर्की की. जो अपने आस पास की महिलाओं के साथ खेतों में मजदूरी करने जाया करती थीं या फिर घर गृहस्थी के कार्य में ही पूरा दिन व्यतीत कर दिया करते थी, पर हमेशा दिमाग में अपनी परिस्थितियों में बदलने और अपने बच्चों के लिए सुंदर भविष्य की कल्पना उनके दिमाग में रहा करती थीं. परंतु आय का कोई साधन न होने और उन्नति की कोई भी राह दिखाई ना देने के कारण वह हमेशा अपने मन में अपना स्वप्न लिए रह जाया करतीं थीं. इसी बीच पति के देहांत के बाद अंजना के घर की आर्थिक हालात और भी गंभीर हो गयी थी तीन बच्चों की जिम्मेदारी उसके अकेले के कंधों पर आ गयी थी.
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— India 2047 (@India2047in) July 4, 2025
ऐसे में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन ‘बिहान’ अंजना के जीवन में नई उम्मीद लेकर आई. जहां एनआरएलएम के अधिकारियों द्वारा अंजना एवं उसकी आसपास की महिलाओं को मिलकर बचत करने एवं बिहान योजना द्वारा स्वयं का उद्यम प्रारंभ करने की सलाह दी गई. सभी ने मिलकर दीप स्व सहायता समूह का गठन किया. जिसमें आसपास की 14 महिलाओं ने मिलकर कार्य करना प्रारंभ किया. छोटी-छोटी बचत के साथ उन्हें बैंक ऋण का भी लाभ प्राप्त हुआ. जिसमें अंजना ने भी बैंक ऋण के माध्यम से मुर्गी पालन का कार्य प्रारंभ किया.
मुर्गीपालन से शुरू में प्रथम वर्ष प्राप्त लाभ केवल ऋण अदायगी में चला गया पर अंजना की मेहनत ने दूसरे साल से रंग लाना प्रारम्भ किया और अगले साल से ही 5 लाख रुपये का लाभ मिलना प्रारम्भ हो गया. इस संबंध में अंजना तिर्की बताती हैं कि समूह से मिले ऋण से उन्होंने 2 मुर्गी पालन फार्म लगाया. जिससे एक साल बाद से ही लाभ मिलना शुरू हो गया. मैंने एक छोटा सा सपना देखा था कि मैं अपने लिए एक स्कूटी लूं और उससे बाजार और दूसरे काम करने आसानी से जा सकूं. अब मेहनत का परिणाम जो मिला उसे देख कर विश्वास ही नहीं होता, आज घर में स्कूटी के साथ-साथ बोलेरो और ट्रेक्टर भी आंगन में खड़ी है. इसके साथ ही बच्चों को भी पढ़ा पा रहीं हैं. उन्होंने बताया कि दोनों बेटों के साथ बेटी को भी कॉलेज पढ़ा पा रहीं हैं. इसके साथ ही बेटे को मोटर सायकिल भी दिला दी है.
अंजना ने आगे बताया कि वे जल्द ही दो और फार्म चालू करेंगी, जिससे उनकी आय में और वृद्धि हो जाएगी. अभी उनके फार्म में 40 हज़ार से अधिक मुर्गियों का सालाना उत्पादन हो रहा है. जिसमें बॉयलर, कड़कनाथ, सोनाली प्रकार की मुर्गियां अभी फार्म में हैं. अंजना अब खुद आत्मनिर्भर बन कर दूसरों को भी आत्मनिर्भरता की राह पर अग्रसर कर रहीं हैं. उनके साथ साथ उनकी समूह की अन्य महिलाएं भी उद्यम से जुड़ कर आत्मनिर्भर हो रहीं हैं. कोई मछलीपालन, कोई किराना दुकान तो कोई हॉलर मशीन जैसे अन्य उद्यमों में रोजगार पा रहीं है. वे अपने उद्यम से अब अन्य लोवों को भी रोजगार देने का कार्य भी कर रहीं हैं. अंजना ने अपनी सफलता के लिए प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री को धन्यवाद दिया.
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