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जशपुर देशदेखा क्लाइंबिंगः साहसिक खेलों से युवाओं का बढ़ा हौसला, सीएम के पहल पर जिले के पर्यटन क्षेत्र का हो रहा विकास

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के सुशासन में जशपुर जिले में पर्यटन क्षेत्रों में विकास हो रहा है. अन्य जिला सहित राज्य से भ्रमण के लिए पर्यटक आ रहे हैं और जशपुर के प्राकृतिक सौंदर्य की छवि अपने मन में बसा के जा रहे हैं. युवा यहां से साहसिक खेलों में निपूर्ण हो रहे हैं और उनमें आत्मविश्वास आ रहा है.

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जिला मुख्यालय में स्थित देशदेखा क्लाइंबिंग सेक्टर में हाल ही में राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी विद्यालय कुंडली हरियाणा, श्री महावीर दिगंबर जैन महाविद्यालय जशपुर और राज्य की अन्य शैक्षणिक संस्थाओं ने रॉक क्लाइंबिंग कार्यशालाओं का आयोजन किया. इन कार्यशालाओं में निफ्टेम के 12, जैन स्कूल के 25 से अधिक तथा अन्य संस्थानों के विभिन्न छात्र-छात्राओं ने भाग लिया. कार्यक्रम का नेतृत्व जशपुर के रॉक क्लाइंबिंग अंतराष्ट्रीय गाइड्स रवि सिंह, तेजल भगत, सचिन कुजूर, रुशनाथ भगत, प्रतीक नायक और अनुराज भगत ने किया. इन गाइड्स ने प्रतिभागियों को न केवल रॉक क्लाइंबिंग के व्यावहारिक और तकनीकी पहलुओं से परिचित कराया, बल्कि उनके भीतर आत्मविश्वास और सामूहिक सहयोग की भावना भी विकसित की.

देशदेखा में शुरू की गई इस नई पहल से स्थानीय गांवों की अर्थव्यवस्था को भी नई दिशा मिल रही है. देशदेखा के चेक पोस्ट पर तैनात अनिल बताते हैं, पहले हमें नहीं पता था कि ये पत्थर पर्यटकों को आकर्षित कर सकते हैं. अब रॉक क्लाइंबिंग की वजह से पर्यटक आने लगे हैं और हमारी आय बढ़ गई है. अनिल ने यह भी बताया कि आने वाले पर्यटक और क्लाइम्बर्स न केवल रोमांच का अनुभव ले रहे हैं, बल्कि यहां के पर्यावरण को साफ रखने में भी योगदान दे रहे हैं. ये लोग प्लास्टिक कचरा इकट्ठा करने में हमारी मदद करते हैं और साथ आने वाले पर्यटक को स्वच्छता बनाए रखने के प्रति जागरूक कर रहे हैं. इसके साथ ही जशपुर क्षेत्र में गाइड्स और प्रशिक्षकों को रोजगार मिल रहा है, जिससे उन्हें आजीविका का नया स्रोत प्राप्त हो रहा है. स्थानीय लोगों को इन गतिविधियों के माध्यम से विश्वस्तरीय अनुभव उनके अपने क्षेत्र में ही मिल रहा है.

श्री महावीर दिगंबर जैन महाविद्यालय के छात्र, जो गत दो वर्षों से रॉक क्लाइंबिंग वर्कशॉप में भाग ले रहे हैं, अब पहले से अधिक आत्मविश्वास महसूस कर रहे हैं। निफ्टेम के प्रोफेसर डॉ. प्रसन्ना कुमार जी. वी., जो पहले से ही जशपुर से जुड़े रहे हैं, देशदेखा के बारे में जानने के बाद यहां के छात्रों को रॉक क्लाइंबिंग का अनुभव लेने के लिए भेजने को उत्सुक थे. उनका मानना है कि इस प्रकार के प्रशिक्षण न केवल छात्रों को शारीरिक रूप से मजबूत बनाते हैं, बल्कि उन्हें जीवन में आने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए भी तैयार करते हैं.

जशपुर प्रशासन की इस पहल ने यह साबित कर दिया है कि साहसिक खेल केवल मनोरंजन तक सीमित नहीं हैं, बल्कि ये स्थानीय अर्थव्यवस्था और शिक्षा के लिए भी लाभदायक हो सकते हैं. जहां एक ओर गाइड्स और स्थानीय लोग आय अर्जित कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर छात्र इस अद्वितीय अनुभव से प्रेरित हो रहे हैं. यह पहल गांव के बच्चों और युवाओं को अपने आसपास के पर्यावरण को एक नई दृष्टि से देखने की प्रेरणा देती है. पहले यह क्षेत्र केवल एक प्राकृतिक दृश्य स्थल था, लेकिन अब यहां के लोग इसे रोमांच, संभावनाओं और विकास के केंद्र के रूप में बदल चुका है. इसके अलावा इस पहल ने पर्यावरण संरक्षण के प्रति स्थानीय और पर्यटकों के बीच जागरूकता बढ़ाई है.

गाइड्स ने बताया कि कई पर्यटक सफाई अभियानों में हिस्सा लेते हैं और स्थानीय बच्चों को प्लास्टिक कचरे के खतरे के बारे में शिक्षित करते हैं. आयोजकों का कहना है कि इस प्रकार की गतिविधियां भविष्य में भी जारी रहेंगी और आने वाले वर्षों में यह स्थान एडवेंचर के लिए पसंदीदा केंद्र बनेगा. देशदेखा क्लाइंबिंग सेक्टर न केवल रोमांच की नई कहानी लिख रहा है, बल्कि गांवों और उनके लोगों के लिए विकास और पर्यावरण संरक्षण की नई राह भी खोल रहा है.

 

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