राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम के तहत किये जा रहे बेहतर कार्य के लिए मंगलवार को रायपुर में आयोजित राज्य स्तरीय सम्मान समारोह में जशपुर जिले को सम्मानित किया गया. इस अवसर पर स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने सीएमएचओ जीएस जात्रा के नेतृत्व में स्वास्थ्य विभाग जशपुर के दल को सम्मान प्रदान किया. इस अवसर पर स्वास्थ्य सचिव अमित कटारिया, आयुक्त स्वास्थ्य विभाग डॉ. प्रियंका शुक्ला ने भी जिले की इस उपलब्धि की सराहना की.
इस अवसर पर सीएमएचओ सहित सिविल सर्जन वीके इन्दवार, जिला कार्यक्रम प्रबंधक राजीव रंजन मिश्रा, हॉस्पिटल कंसलटेंट राजेश कुरील, जिला टीवी एचआईवी कोऑर्डिनेटर अमित त्रिपाठी, प्रतीक लकड़ा एसटीएस अर्चना सिंह, सविता तिर्की एवं करिश्मा ने अवार्ड प्राप्त किया.
उल्लेखनीय है कि जशपुर में टीबी मुक्त अभियान को कलेक्टर रोहित व्यास के मार्गदर्शन में स्वास्थ्य विभाग द्वारा मिशन मोड़ में संचालित किया जा रहा है. टीबी मरीजों की खोज, जांच, उपचार एवं निदान का कार्य गांव गांव में किया जा रहा है. जिसका परिणाम है कि राज्य में सर्वाधिक 444 ग्राम पंचायतों में से 271 ग्राम पंचायतें टीबी मुक्त किये गए हैं. जिसमें सबसे अधिक 66 ग्राम पंचायत विकासखंड बगीचा में टीबी मुक्त बनाये गए हैं.
इस संबंध में जशपुर जिले के टीबी उन्मूलन कार्यक्रम के नोडल अधिकारी उदय भगत ने बताया कि जिले में टीबी उन्मूलन के लिए कलेक्टर रोहित व्यास के मार्गदर्शन में कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है. जिसके तहत हर गांव में स्क्रीनिंग का कार्य कराया गया है, जिसमें टीबी पीड़ित पाए गए सभी 264 मरीजों को आवश्यक पोषण दिलाने के लिए फूड बास्केट प्रदान किया जा रहा है. उनको लगातार दवाइयों के सेवन के लिए प्रेरित किया जा रहा है. जिसके लिए जिले में टीबी की बीमारी से ठीक हुए मरीजों को टीबी मित्र बनाया गया है. ये टीबी मित्र बीमारी से जूझ रहे लोगों को प्रेरणा देने के साथ उन्हें दवाइयों के नियमित सेवन के लिए प्रेरित कर रहे हैं.
जिले में टीबी का पूर्ण रूप से उन्मूलन करने के लिए पिरामल फाउंडेशन की सहायता से जिले के सभी बैगा, गुनिया, सिरहा जैसे पारम्परिक वैध का कार्य करने वाले लोगों को टीबी की बीमारी के लक्षणों के प्रति जागरूक कर गंभीर टीबी पीड़ितों को चिकित्सालयों में भेजने एवं पारम्परिक चिकित्सा के साथ आधुनिक पद्धति से उपचार करने के लिए प्रशिक्षण दिया गया है. जिले में टीबी से लड़ी जा रही जंग में ग्रामीण जनप्रतिनिधियों को शामिल करने के लिए सरपंच, पंच, बीडीसी, डीडीसी एवं अन्य जनप्रतिनिधियों के साथ साथ स्वसहायता समूह की महिलाओं, युवाओं को भी टीबी से बचाव एवं उन्मूलन के लिए प्रशिक्षण दिया गया है.