मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की मंशानुरूप जशपुर जिले में बढ़ते पर्यटन की सुविधा और असीम संभावनाओं को सार्थक रूप मिल रहा है. यहां जिला पर्यटन के क्षेत्र में पूरे राज्य सहित विदेशों में भी अपनी पहचान बना रही है. वहीं कैरीयर प्वाइंट वर्ल्ड स्कूल बिलासपुर के आउटडोर क्लब के छात्रों ने 23 से 27 दिसंबर 2024 तक जशपुर देशदेखा क्लाइम्बिंग सेक्टर का दौरा किया. इस ट्रिप के दौरान छात्रों ने रॉक क्लाइम्बिंग, कैंपिंग, हाइकिंग और एग्रो टूरिज्म जैसी गतिविधियों जो कि ट्रिप स्कूल के आउटडोर क्लब की वार्षिक वर्कशॉप का हिस्सा था में भाग लिया.
World War 3 will be for language, not land! pic.twitter.com/0LYWoI3K0r
— India 2047 (@India2047in) July 4, 2025
यह लगातार दूसरा वर्ष है जब यह स्कूल जशपुर में अपनी आउटडोर क्लब वर्कशॉप के लिए आया है. स्कूल प्रशासन का कहना है कि ऐसे आयोजनों का उद्देश्य छात्रों को प्रकृति और एडवेंचर के करीब लाना है, जिससे वे नेतृत्व, टीम वर्क और आत्मनिर्भरता जैसे कौशल विकसित कर सकें. साथ ही ऐसी गतिविधियां छात्रों को पाठ्यक्रम से बाहर व्यावहारिक ज्ञान प्रदान करती हैं और उन्हें भविष्य के लिए नई दृष्टि देती हैं तथा नए आयाम भी खोलती हैं. कैरीयर प्वाइंट वर्ल्ड स्कूल का आउटडोर क्लब छत्तीसगढ़ क्लाइम्बिंग इनिशिएटिव द्वारा विकसित देश देखा क्लाइम्बिंग सेक्टर की अवधारणा से प्रेरित है, जिसे घूमंतू टूर्स और जशप्योर जैसे स्थानीय सहयोगियों का समर्थन प्राप्त है. इस पहल का उद्देश्य युवाओं को एडवेंचर गतिविधियों और प्रकृति के प्रति आकर्षित करना है, जिससे वे इसे करियर विकल्प के रूप में देख सकें.
इस बार की यात्रा में छात्रों ने जशपुर के जनजातीय उद्यमियों से बातचीत की, जो जशप्यो ब्रांड से जुड़े हैं. उन्होंने जंगलों में उगाए गए प्राकृतिक उत्पादों के बारे में सीखा और जशप्योर द्वारा तैयार भोजन का स्वाद भी लिया. इसके अलावा, स्थानीय गाइड्स ने छात्रों को विभिन्न आउटडोर स्किल्स के साथ-साथ स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण के महत्व के बारे में भी जागरूक किया, एवं स्वच्छ भारत के मोटो को सार्थक करते हुए देशदेखा को साफ भी किया.
छात्रों ने स्थानीय उद्यमियों और खाद्य उत्पादकों से भी मुलाकात की और भोजन निर्माण प्रक्रिया के बारे में जानकारी प्राप्त की
यह ट्रिप न केवल छात्रों के लिए एक शैक्षिक और रोमांचक अनुभव थी, बल्कि जशपुर क्षेत्र को एडवेंचर पर्यटन के प्रमुख केंद्र के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक और कदम साबित हुई. साथ ही देशदेखा के स्थानीय समुदाय को परमिट एवं अन्य सहायता के रूप में आर्थिक बढ़ावा भी मिला. समिति के अध्यक्ष विपिन जी का कहना है, शुरुआत में उन्हें समझ नहीं आया कि ऐसे एडवेंचर खेलों से गांव को क्या सहायता मिल सकती है. लेकिन देशदेखा क्लाइम्बिंग सेक्टर बनने के बाद से अमिति परमिट के रूप में पैसे आने शुरू हो गए हैं और स्थानीय महिलाएं दोना पत्तल बेच कर आजीविका अर्जित कर रही हैं.
ये खबर भी पढ़ें
सफलता की कहानी: जशपुर के रातामाटी गांव ‘‘हर घर जल’’ श्रेणी में हुआ शामिल