छत्तीसगढ़ के नक्सली संगठन ने सरेंडर की तैयारी शुरू की

छत्तीसगढ़ के नक्सली संगठन ने सरकार के सामने सरेंडर करने और हथियार डालने के लिए अपनी तैयारी शुरू कर दी है। CPI (माओवादी) ने प्रेस नोट जारी कर कहा कि संगठन फिलहाल अस्थायी रूप से हथियारबंद संघर्ष को रोकने और शांति वार्ता के लिए तैयार है। संगठन ने सरकार से ईमानदार और गंभीर पहल की उम्मीद जताई है।

पार्टी ने बताया कि 2024 से चल रहे अभियान में पुलिस और सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ों में दोनों तरफ नुकसान हुआ है। इसी पृष्ठभूमि में संगठन ने निर्णय लिया है कि सरकार से संवाद की प्रक्रिया एक महीने तक आगे बढ़े और कैद माओवादी नेताओं को भी वार्ता में शामिल करने का अवसर दिया जाए। संगठन ने यह भी स्पष्ट किया कि इस दौरान पुलिस दबाव न डाले और जेल में बंद साथियों से विचार-विमर्श की अनुमति दी जाए।

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने 24 अगस्त 2024 को रायपुर में नक्सली हिंसा की समीक्षा बैठक में कहा था कि मार्च 2026 तक देश से नक्सलवाद खत्म हो जाएगा। उन्होंने वामपंथी उग्रवाद की समस्या के समाधान के लिए मजबूत रणनीति अपनाने की आवश्यकता जताई।

विशेषज्ञों का कहना है कि नक्सली संगठन का यह कदम सकारात्मक संकेत है और शांति स्थापना की दिशा में महत्वपूर्ण कदम माना जा सकता है। इससे छत्तीसगढ़ और आसपास के प्रभावित क्षेत्रों में हिंसा कम होने की उम्मीद है। प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियां भी वार्ता की प्रक्रिया को आसान बनाने और किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए तैयार हैं।

स्थानीय लोगों का कहना है कि पिछले वर्षों में नक्सली हिंसा के कारण जनजीवन प्रभावित हुआ है और यह सरेंडर प्रक्रिया उनके जीवन में सुरक्षा और स्थिरता ला सकती है। समाजिक कार्यकर्ता भी वार्ता को सफलता मिलने पर क्षेत्र में विकास और सामाजिक सहयोग बढ़ने की संभावना बता रहे हैं।

पुलिस और प्रशासन ने संगठन को वार्ता के लिए सकारात्मक वातावरण देने का आश्वासन दिया है। अधिकारियों का कहना है कि यदि माओवादी संगठन सच में हथियार डालने और शांति वार्ता के लिए तैयार है, तो यह पूरे राज्य के लिए शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करने में मददगार होगा।

इस घटनाक्रम से साफ है कि नक्सली हिंसा के समाधान के लिए बातचीत और संवाद का मार्ग अपनाना अब अधिक प्रभावी विकल्प बन गया है, और इसका सकारात्मक प्रभाव पूरे क्षेत्र में देखा जा सकता है।

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