कुरुद : छत्तीसगढ़ के दूसरे बड़े गंगरेल बांध के बीच स्थित ठेमली आइलैंड को इको टूरिज्म केंद्र के रूप में विकसित किया जा रहा है.साल 2025 के अंत तक यह पूरी तरह तैयार हो जाएगा.प्रशासन की योजना इसे 1 नवंबर को छत्तीसगढ़ स्थापना दिवस पर पर्यटकों के लिए खोलने की है.यह आइलैंड करीब 15 एकड़ में फैला है.यहां तितलियों व विदेशी पक्षियों को भी नजदीक से देखने का मौका मिलेगा.
5 करोड़ खर्च किया जायेगा विकसित

मिली जानकारी अनुसार ठेमली आइलैंड को विकसित करने में 5 करोड़ खर्च होंगे.इससे युवाओं को रोजगार भी मिलेगा। गंगरेल डुबान किनारे 130 प्रजातियों के पक्षी मौजूद हैं.इनमें 100 से ज्यादा प्रजातियां विदेशों से आती हैं.विशेषज्ञों के अनुसार यहां रूडी शेल्डक, स्पोर्ट बिल, नॉर्थनं पिनटेल, कैस्पियन टर्न, डनलीन, लेसर-सैड प्लोवर, पेस्फीक गोल्डन प्लोवर, ओरिएंटल डार्टर, बार हेडेड गूज, रेड ब्रेस्टेड, रीवर लप्वीन, टेम्निक स्ट्रीट, वाटर कॉक, रफ जैसे पक्षी देखे जा रहे हैं.
35 फीट ऊंचा टॉवर से दिखेगा चारो ओर का नजारा

वर्तमान में गंगरेल के बीच स्थित टापू ठेमली आइलैंड तक पहुंचने के लिए 4 किलोमीटर बोटिंग रूट बनाया जायेगा.
35 फीट ऊंचा वॉच टावर बनेगा.यहां से गंगरेल के चारों ओर का नजारा दिखेगा. 7 कॉटेज पाथ-वे और रेस्टोरेंट भी बनाया जाएगा. प्रदेश के सबसे बड़े सिंचाई बांध गंगरेल के चारों ओर पर्वत श्रृंखलाएं हैं.यहां कई छोटे-बड़े टापू भी हैं.इनमें 7 टापू डूबान क्षेत्र में काफी प्रसिद्ध हैं. पहला टापू कोसमी मुंडरा है. दूसरा टापू ठेमली आइलैंड है.इसके बाद ठेमसरा, नंगारा, नकटी देव, राम टेकरी और गांधी मंदिर सटरिया टापू हैं.
गौरतलब हो कि ठेमली आइलैंड को इको टूरिज्म बनाने की दिशा में काम शुरू हो चुका है जिसके लिए वन विभाग इसे विकसित करने में डेढ़ करोड़ रुपये खर्च करेगा.पाथवे निर्माण के लिए करीब 40 लाख रुपये की फंड की स्वीकृति भी दिला दी है.इस आइलैंड में पौधों की जानकारी संबंधी बोर्ड लगाया जायेगा.ताकि पर्यटकों को शैक्षणिक जानकारी मिल सके.
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