पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम ने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि धनखड़ ने अपनी संवैधानिक सीमाएं लांघी हैं और अब केंद्र सरकार का विश्वास खो चुके हैं। चिदंबरम का मानना है कि इसी वजह से सरकार और उनके बीच रिश्ते अब पहले जैसे नहीं रहे।
उन्होंने राज्यसभा में धनखड़ के इस्तीफे की संक्षिप्त और औपचारिक घोषणा को इस बात का प्रमाण बताया कि अब दोनों पक्षों के बीच कोई आपसी सम्मान नहीं बचा है। चिदंबरम ने कहा, “यह साफ है कि अब वे एकमत नहीं हैं।”
चिदंबरम ने न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच बढ़ते तनाव पर भी बात की और कहा कि उपराष्ट्रपति पिछले एक साल से अधिक समय से न्यायिक मुद्दों पर लगातार टकराव की स्थिति पैदा कर रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि धनखड़ इस घटनाक्रम से नाराज़ थे और उन्होंने बैठक को अचानक समाप्त कर दिया। चिदंबरम ने सवाल उठाया, “12:30 से 4:30 बजे के बीच क्या हुआ?”
उन्होंने यह भी कहा, “मोदी सरकार व्यक्तियों का समर्थन केवल तब तक करती है जब तक वे सरकार के रुख के अनुरूप चलते हैं। जैसे ही कोई व्यक्ति स्वतंत्र राय दिखाता है, उसे दरकिनार कर दिया जाता है।”
चिदंबरम के इन बयानों से एक बार फिर यह स्पष्ट हो गया है कि सरकार और संवैधानिक पदों पर बैठे कुछ लोगों के बीच मतभेद लगातार गहराते जा रहे हैं।