रीवा चोरहटा कांड के बाद मुख्यमंत्री मोहन यादव का एक्शन, कोई भी हो अन्याय बर्दाश्त नहीं

रीवा : जिले के चोरहटा थाना क्षेत्र में एक गरीब मजदूर अभिषेक तिवारी के साथ हुई  मारपीट की घटना ने पूरे प्रशासन को कटघरे में खड़ा कर दिया है.युवक का आरोप है कि उसे विधायक अभय मिश्रा के फार्महाउस में बंधक बनाकर बेरहमी से पीटा गया.लेकिन जब उसने चोरहटा थाने में शिकायत दर्ज कराने की कोशिश की, तो पुलिस ने एफआईआर (FIR) दर्ज करने में टालमटोल की थी.

 

इस गंभीर मामले की जानकारी होते ही भाजपा के कई कार्यकर्ता, जनप्रतिनिधि और सामाजिक कार्यकर्ता चोरहटा थाने पहुंचे। लेकिन शाम 5 बजे तक भी एफआईआर दर्ज नहीं की गई थी इतना ही नहीं, उलटा पीड़ित अभिषेक तिवारी के खिलाफ ही दूसरे थाने में गैर-जमानती धाराओं में एफआईआर दर्ज कर दी गई. आरोप है कि विधायक अभय मिश्रा ने सिर्फ 20 सेकंड की घटना दिखाकर दो घंटे की पिटाई को छिपाने की कोशिश की.

इस दौरान पुलिस और स्थानीय सीएसपी  का व्यवहार भी सवालों के घेरे में आ गया.पीड़ित पक्ष और जनप्रतिनिधियों का आरोप है कि पुलिस का रवैया बेहद संवेदनहीन और पक्षपात पूर्ण था। यहाँ तक कि पीड़ित युवक से धोखे से किसी कागज़ पर हस्ताक्षर भी करवा लिए गए.

पूर्व विधायक केपी त्रिपाठी का धरना और मुख्यमंत्री का संज्ञान

जैसे ही यह मामला पूर्व विधायक केपी त्रिपाठी तक पहुँचा, वे तुरंत चोरहटा थाने पहुँच गए. उन्होंने पीड़ित को न्याय दिलाने की मांग को लेकर थाने के सामने ही धरना शुरू कर दिया और स्पष्ट कहा कि जब तक एफआईआर दर्ज नहीं होगी, वे वहाँ से नहीं हटेंगे। उनके इस कदम से धीरे-धीरे पुलिस पर जनदबाव बढ़ता चला गया.

यह मामला जब प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव तक पहुँचा, तो उन्होंने इसे गंभीरता से लेते हुए तत्काल सख्त संदेश दिया.मुख्यमंत्री ने साफ शब्दों में कहा, “कानून सबके लिए एक है चाहे वो कोई भी हो, विधायक हो या आम नागरिक। यदि गलती किसी अधिकारी की है, तो उस पर भी कार्रवाई होगी.”

मुख्यमंत्री की सख्ती के बाद हुई एफआईआर

मुख्यमंत्री के इस सख्त रुख के बाद ही चोरहटा पुलिस ने आखिरकार एफआईआर दर्ज की.सूत्रों के मुताबिक, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव पीड़ित के साथ हुए दुर्व्यवहार और उसके खिलाफ ही एफआईआर दर्ज करने के रवैये से बेहद नाखुश थे। उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिए कि प्रशासन में कोई भी व्यक्ति पीड़ित की अनदेखी न करे और हर हाल में न्याय सुनिश्चित किया जाए.

यह घटना दर्शाती है कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव प्रदेश में कानून व्यवस्था को लेकर कितने गंभीर हैं और वे किसी भी कीमत पर अन्याय बर्दाश्त करने को तैयार नहीं हैं.उनका यह संदेश साफ है कि कानून का राज स्थापित होगा और किसी भी प्रभावशाली व्यक्ति को कानून से ऊपर नहीं समझा जाएगा.

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