चाइल्ड मैरिज यानी बाल विवाह, आज के भारत में ज्यादातर लोग समझने लगे हैं कि यह एक ऐसी प्रथा है जो अब इतिहास बन गई है. अब भारत में बाल विवाह के मामले सामने नहीं आते हैं, अब लोग इस चीज को लेकर जागरूक हो गए हैं, लेकिन हाल ही में सामने आई रिपोर्ट हैरान कर देने वाले आंकड़े सामने रखती है. देश में शादी की कानूनी उम्र 18 साल है और अगर इस उम्र से कम उम्र में शादी की जाती है तो उसे बाल विवाह कहा जाता है.
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (MINISTRY OF WOMEN AND CHILD DEVELOPMENT) की 12 मार्च 2025 को सामने आई रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2022 में पूरे देश भर में 999 बाल विवाह के केस दर्ज किए गए हैं. इस 5 साल की रिपोर्ट में सबसे ज्यादा बाल विवाह के केस कर्नाटक में दर्ज किए गए हैं.
भारत में पिछले कई सालों से बाल विवाह को रोकने के लिए पहल की जा रही है. इस दिशा में कई तरह के जागरूकता प्रोग्राम चलाए जा रहे हैं. साथ ही सख्त से सख्त कानून बनाए गए हैं. बाल विवाह निषेध अधिनियम (पीसीएमए) ‘क्राइम इन इंडिया’ की रिपोर्ट पेश की गई है. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि साल 2018 से लेकर 2022 तक देश में कितने बाल विवाह दर्ज किए गए हैं.
कर्नाट में सबसे ज्यादा केस
2011 की जनगणना के मुताबिक, कर्नाटक की साल 2011 में आबादी, 6 करोड़ 11 लाख से ज्यादा थी. जिसमें से 50 प्रतिशत आबादी पुरुषों की थी तो 49 प्रतिशत आबादी महिलाओं की थी. 1000 पुरुषों पर 973 महिलाएं थी. वहीं, साक्षरता दर को देखें तो 82.47 प्रतिशत पुरुष साक्षर थे और 68.08 प्रतिशत महिलाएं साक्षर थी. लेकिन इसी बीच बाल विवाह को लेकर आए आंकड़े हैरान कर देते हैं.
इस रिपोर्ट के हिसाब से देखे तो साल 2022 में देश के 21% बाल विवाह कर्नाटक में हुए. 215 मामले सामने आए हैं. साल 2018 में जहां केस 73 थे, वहीं, धीरे-धीरे केस में उछाल दर्ज किया. 2021 में यह केस 273 तक पहुंच गए थे, लेकिन जहां 2022 में 2021 के मुकाबले केस में गिरावट दर्ज की गई. वहीं, दूसरी तरफ यह राहत की बात इसीलिए नहीं थी क्योंकि सभी राज्यों में अभी भी बाल विवाह के केस सबसे ज्यादा कर्नाटक में ही सामने आए हैं.
सरकार ने उठाए कदम
सरकार ने बाल विवाह पर अंकुश लगाने और इसको अंजाम देने वालों के खिलाफ एक्शन लेने के लिए पीसीएमए अधिनियम बनाया है. इस अधिनियम में उचित कार्रवाई करके बाल विवाह को रोका जाता है, साथ ही अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन करने वालों को सजा दी जाती है. लोगों को जागरूक किया जाता है.