कवर्धा: छत्तीसगढ़ के ज्यादा जिलों में अप्रैल मई में बहुतायत में शादी होती है. ऐसे में वनांचल व ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले ग्रामीण अपने नाबालिग बच्चों की शादी करा देते हैं. इसे देखते हुए प्रशासन पहले से एक्टिव हो गया है. गांव गांव में आमसभा कर लोगों को बाल विवाह नहीं कराने को लेकर जागरूक किया जा रहा है.
कवर्धा में बाल विवाह रोकने के लिए जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं. इसके तहत ग्राम सभाओं, स्कूल और कॉलेजों में कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं. लोगों को बाल विवाह के दुष्परिणामों के बारे में बताया जा रहा है. बाल विवाह ना कराने और आसपास में होने वाले बाल विवाह के खिलाफ आवाज उठाने शपथ दिलाई जा रही है. गांवों में बाल विवाह को कड़ाई से रोकने पंचायत सचिव को जिम्मेदारी दी गई है.
बाल संरक्षण अधिकारी सत्यनारायण राठौर ने बताया कि बाल विवाह रोकने महिला एवं बाल विकास विभाग की तरफ से लगातार जन जागरूकता कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं. पंचायत स्तर से लेकर जिला स्तर तक अभियान चलाकर लोगों को इसके दुष्परिणामों के बारे में बताया जा रहा है.
बाल संरक्षण अधिकारी ने बताया कि सरकार की तरफ से बाल विवाह रोकथाम के लिए पंचायत स्तर बाल विवाद अधिकारी नियुक्त किए हैं. ग्राम पंचायत सचिव को इसकी जिम्मेदारी दी गई है. सेक्टर लेवल में भी सुपरवाइजर नियुक्त है. पूर्ण रूप से बाल विवाह मुक्त छत्तीसगढ़ बनाने की जिम्मेदारी पंचायत सचिव और अधिकारियों को दी गई है. इसके लिए टास्क फोर्स भी बनाया गया है. जो गांव गांव घर घर जाकर लोगों को ऐसे ना करने की शपथ दिलाते हैं. टोल फ्री नंबर भी जारी किया गया है ताकि कहीं ऐसी घटना होने पर तुरंत फोन कर जानकारी दी जा सके. अधिकारी ने बताया कि सभी इस पर काम कर रहे हैं. बाल विवाह रोकने प्रचार प्रसार व्यापक रूप से किया जा रहा है.