छत्तीसगढ़ के इस केंद्र में बच्चे पढ़ रहे श्रीमद्भगवद्गीता:5 से 13 साल के बच्चों को गीता का श्लोक कंठस्थ; देनी पड़ती है 5 परीक्षाएं

निर्मानमोहा जितसङ्गदोषा अध्यात्मनित्या विनिवृत्तकामाः’। श्रीमद्भगवद्गीता के 15वें अध्याय का 5वां श्लोक। इसका अर्थ है: “जो अहंकार और मोह से रहित हैं, जिन्होंने आसक्ति के दोषों पर विजय प्राप्त कर ली है, जो निरंतर आत्मा में स्थित हैं और जिनकी इच्छाएं समाप्त हो गई हैं, वे अविनाशी पद को प्राप्त होते हैं।’

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कक्षा तीसरी में पढ़ने वाली 7 साल की श्रीनिधि को यह श्लोक कंठस्थ याद है। छत्तीसगढ़ का एक ऐसा केंद्र जहां बच्चों को गीता का पाठ पढ़ाया जाता है। राजधानी रायपुर के मोवा में गीता परिवार ‘लर्न गीता’ कार्यक्रम के माध्यम से बच्चों को भगवद् गीता की शिक्षा दे रही है। बाद में 5 अलग-अलग विषयों में उनकी परीक्षा भी ली जाती है।

पढ़कर जीवन में भी उतार रहे

यहां पढ़ने वाले बच्चे एक साल में गीता के 12वें, 15वें और 16वें अध्याय के 85 से ज्यादा श्लोक याद कर चुके हैं और पूरे 18 अध्याय के 700 श्लोक याद करने में लगे हैं। ऐसा नहीं है कि वे सिर्फ श्लोक याद कर रहे हैं, इसे अपने जीवन में उतार रहे हैं। बच्चे इसकी नियमित ​शिक्षा लेने पहुंच रहे हैं।

अनाथालय में पढ़ाया जा रहा गीता का पाठ

मोवा में बच्चों को गीता की शिक्षा दे रहीं 65 साल की संगीता पांडेय बताती हैं कि एक साल पहले 1 बच्चे से इसकी शुरुआत हुई थी। आज 5 से 13 साल तक के 22 बच्चे हैं। राजधानी के अशोका हाइट्स सोसाइटी, रोहणीपुरम में रोजाना और गुढ़ियारी स्कूल, डागा कॉलेज के अनाथालय में हफ्ते में एक दिन गीता का पाठ पढ़ाया जा रहा है।

योग-ध्यान के साथ सुनाई जाती है कहानी भी

गीता परिवार छत्तीसगढ़ ‘लर्न गीता’ कार्यक्रम के माध्यम से बाल संस्कार केंद्र के तहत बच्चों को भगवद् गीता की शिक्षा दे रही है। संगीता पांडेय बताती हैं कि करीब पांच साल पहले कोरोना के दौरान इसकी शुरुआत प्रदेश में हुई थी।

बच्चों को अध्यात्म से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। इससे लगातार बच्चे जुड़ते जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि 40 मिनट की कक्षा होती है। यहां आने वालों में डॉक्टर, इंजीनियर, बिजनेसमैन के बच्चे भी शामिल हैं।

इसके अलावा बच्चों को बुधवार को योगा-ध्यान और शुक्रवार को कहानी सुनाई जाती है। इसमें अध्यात्म और महापुरुषों से जुड़ी कहानियां होती हैं।

बच्चों को देनी पड़ती है पांच परीक्षाएं

भगवद गीता का ज्ञान ले रहे बच्चों को गीता गुंजन, गीता जिज्ञासु, गीता पाठक, गीता पथिक और गीता व्रती की परीक्षाएं देनी पड़ती है। गीता पथिक में पूरा श्लोक याद कर शंकराचार्य के सामने परीक्षा देनी होती है।

अशोका हाइट्स सोसाइटी में चल रही कक्षा के 7 बच्चों ने हाल ही में गीता जिज्ञासु की परीक्षा दी है। पांडेय कहती हैं कि स्कूलों में भी बच्चों को गीता का पाठ नियमित पढ़ाना चाहिए। इसके लिए सरकार को पहल करने की जरूरत है।

महाराष्ट्र में हुई थी संगठन की स्थापना

गीता परिवार छत्तीसगढ़, स्वामी गोविंद देव गिरिजी महाराज द्वारा स्थापित एक संस्था है। इसका उद्देश्य बच्चों के विकास और संस्कार के लिए काम करना है। यह संगठन श्रीमद्भागवत गीता और नैतिक मूल्यों के माध्यम से लोगों को शिक्षित करता है।

छत्तीसगढ़ में गीता परिवार सक्रिय भूमिका निभा रहा है। बता दें कि गीता परिवार की स्थापना 1986 में महाराष्ट्र के संगमनेर में हुई थी। ऑनलाइन के माध्यम से 180 देशों में 12 लाख से अधिक लोग श्रीमद भगवत गीता का शुद्ध संस्कृत उच्चारण सहित निशुल्क ज्ञान ले रहे हैं।

सेंट्रल जेल में 5 कैदियों को गीता कंठस्थ

गीता परिवार छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष गीत गोविंद साहू ने बताया कि ‘लर्न गीता’ की ऑनलाइन शुरुआत पांच साल पहले हुई थी। छत्तीसगढ़ के रायपुर, बिलासपुर, रायगढ़, जगदलपुर, दुर्ग और भिलाई में ऑनलाइन और ऑफलाइन कक्षाएं लग रही हैं।

इससे प्रदेशभर में 10 हजार से अधिक साधक जुड़े हैं। सेंट्रल जेल में कैदी ऑनलाइन गीता का श्लोक याद कर रहे हैं। यहां के करीब पांच कैदियों को गीता कंठस्थ याद है।

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