छत्तीसगढ़ में पिता को मौत के मुंह से खींच लाए बच्चे, बहादुरी की ये कहानी कर देगी दंग

धमतरी: जिले में दो बच्चों ने अपने परिवार की खुशियों को बचा लिया. धमतरी में महज 8 और 10 साल के दो बच्चों ने अपने पिता को मौत के मुंह से खींचकर ले आए, नहीं तो आज धमतरी के आमातालाब में मातम का माहौल होता. अब सभी इन बहादुर बच्चों की तारीफ कर रहे है. हर ओर इन बच्चों की बहादुरी की कहानी चर्चा में है.

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तैरना नहीं आता फिर भी डूबते पिता को बचाया: धमतरी के संतोष देवांगन हर दिन की तरह अपने बेटे आशु देवांगन और भतीजे मेहुल देवांगन के साथ रुद्री नदी बैराज में नहाने जाते हैं. शुक्रवार को भी अपने बेटे और भतीजे के साथ वह रुद्री बैराज में नहाने गए. बच्चे नदी में फिसल गए थे तो संतोष ने बच्चों को ऊपर धकेला. उसके बाद उनका बैंलेंस बिगड़ गया. अचानक संतोष देवांगन गहरे पानी में जाने लगे और वह डूबने लगे. दोनों बच्चों ने अपनी जान पर खेल कर पिता को बचा लिया. उसके बाद कॉल कर एंबुलेंस को भी बुलाया और धमतरी जिला अस्पताल में भर्ती कराया. अब संतोष देवांगन की स्थिति खतरे से बाहर है.

मैं अपने भाई और पिताजी संतोष देवांगन के साथ रोजाना रुद्री बैराज नहाने आता हूं. हम पिताजी के साथ तैराकी सीखते हैं. सुबह लगभग आठ बजे हम नहाने आए. रूद्री बैराज की नदी में पिताजी डूबने लगे. जिसके बाद मैं और मेरा भाई मेहुल नदी में कूद गए. जैसे तैसे हमने पिताजी को नदी से खींचकर किनारे पर लाने का काम किया. उसके बाद पंपिंग कर पिताजी की छाती से नदी के पानी को निकाला-आशु देवांगन, संतोष देवांगन के बेटे

एंबुलेंस को किया कॉल: आशु देवांगन ने आगे बताया कि हमने उसके बाद हमने चिल्लाकर लोगों से मदद मांगी. चाचाजी को बुलाया और एंबुलेंस 108 को कॉल किया. उसके बाद एंबुलेंस के जरिए उन्हें धमतरी जिला अस्पताल में भर्ती कराया. अब पिताजी की स्थिति खतरे से बाहर है.

मैं डूबने लगा था. उसके बाद बच्चों ने अपनी जान खतरे में डालकर नदी में छलांग लगा दी. मुझे जैसे तैसे खींचकर बाहर निकाला- संतोष देवांगन, आशु देवांगन के पिता

धमतरी के रुद्री बैराज में एक पिता अपने बेटे और भतीजे के साथ नहाने गए थे. शुक्रवार सुबह की यह घटना है. वह अचानक डूबने लगे. जिसके बाद उनके बच्चों ने बहादुरी के साथ पिता को नदी की धारा से खींचा. किसी तरह की जनहानि नहीं हुई- अमित बघेल, टीआई, रुद्री

अक्सर गर्मी के दिनों में लोग स्विमिंग पूल, तालाब, नदी, डैम नहाने या तैरने के लिए जाते हैं. इस दौरान लोगों को सावधानी बरतनी चाहिए. आज की घटना में बड़ी सीख यह है कि जब खुद तैरना नहीं जानते है तो अपने बच्चों को सीखने के लिए नहीं ले जाना चाहिए. एक्सपर्ट की देख रेख में तैराकी का काम करना चाहिए.

 

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