चीन जिन देशों के साथ व्यापार करता है, वहां कम कीमतों पर अपने सामानों की डंपिंग के लिए मशहूर है. भारतीय बाजारों के लिए भी चीन ने कुछ ऐसी ही तरकीब निकाली थी लेकिन भारत सरकार ने अपने बाजार में डंपिंग यानी सस्ते चीनी सामानों की बाढ़ से बचने और घरेलू उत्पादकों को बढ़ावा देने के लिए सैकड़ों चीनी प्रोडक्ट्स पर बैन लगा दिया. भारत ने चीन के कच्चे स्टील पर भी पाबंदी लगा दी जिसके बाद चीन नेपाल के जरिए अपना माल भारत पहुंचाने लगा. लेकिन अब भारत ने ऐसा फैसला लिया है जिससे चीन की सारी चालाकी धरी की धरी रह गई है और नेपाल को भी भारी नुकसान हो रहा है.
नेपाल भारत को बड़ी मात्रा में स्टील के बर्तनों का निर्यात करता है लेकिन भारत ने अब स्टील प्रोडक्ट्स में इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल पर क्वालिटी सर्टिफिकेशन मार्क यानी गुणवत्ता प्रमाणन चिह्न लगाना अनिवार्य कर दिया है.
इससे पहले, ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स (BIS) सर्टिफिकेट केवल तैयार प्रोडक्ट्स के लिए जरूरी था. तैयार प्रोडक्ट्स के लिए BIS सर्टिफिकेशन का मकसद चीनी आयात पर अंकुश लगाना था जिसे 2020 में लागू किया गया था. हालांकि, लगभग दो महीने पहले, भारत ने BIS सर्टिफिकेशन को कच्चे माल के लिए भी जरूरी कर दिया. इससे नेपाल के स्टील के बर्तन बनाने वाले लोगों के लिए निर्यात संकट पैदा हो गया है.
भारत ने चीन के प्रोडक्ट्स पर लगाया बैन तो नेपाल बना मोहरा
चीन के साथ 2020 में गलवान घाटी संघर्ष के बाद भारत-चीन तनाव बढ़ गया था जिसके बाद भारत में चीनी उत्पादों का बहिष्कार शुरू हुआ था. तनाव के बीच भारत सरकार ने कई चीनी मोबाइल ऐप्स को भी प्रतिबंधित कर दिया था. उस दौरान भारत ने चीन के 370 प्रोडक्ट्स की खरीद पर प्रतिबंध लगा दिया था.
इसके बाद चीन नेपाल के जरिए भारत में अपने सामान भेजने लगा. चीन अपने कच्चे स्टील को नेपाल को बेचता जिसके बाद नेपाल के व्यापारी उसका बर्तन बनाकर भारत भेज रहे थे. इसे देखते हुए भारत ने नई रणनीति अपनाई है जिससे चीन को तो नुकसान हो ही रहा है, नेपाल के व्यापारियों की भी कमर टूट गई है.
नेपाल के एक बर्तन निर्यातक ने नाम न बताने की शर्त पर द काठमांडू पोस्ट से कहा, ‘भारत नेपाल से ऐसा कोई भी प्रोडक्ट नहीं चाहता जिसमें चीनी कच्चे माल हों, चाहे वह स्टील हो या हाइड्रो इलेक्ट्रिसिटी. यह नेपाल के बड़े निर्यातकों के लिए बेहद चिंताजनक है.’
नेपाली स्टील प्रोडक्ट्स का भारत में निर्यात बंद
नेपाल के व्यापारियों का मानना है कि कच्चे माल को लेकर भारत का नियम व्यापार में नई दिक्कतें पैदा कर रहा है.
वर्तमान में, नेपाल की दो प्रमुख कंपनियां- भिस्टार ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड और पंचकन्या स्टील, भारत को स्टील से बने प्रोडक्ट्स बेच रही हैं. पंचकन्या स्टेनलेस स्टील के टैंक भारत में निर्यात करती है, जबकि भिस्टार विभिन्न प्रकार के घरेलू स्टील के बर्तनों की आपूर्ति करती है.
पंचकन्या समूह के जनरल मैनेजर देवेंद्र साहू ने कहा कि नियमों में बदलाव के बाद से निर्यात पूरी तरह से बंद हो गया है. उन्होंने कहा, ‘अब तक, हम कच्चा माल कहीं और से लेकर प्रोडक्ट बनाकर बेचते थे. लेकिन अब, नए नियमों के अनुसार, कच्चे माल का भी भारतीय होना अनिवार्य कर दिया गया है, हां, हम उस कच्चे माल को लेकर नेपाल में उससे प्रोडक्ट बना सकते हैं.’
नेपाल के स्टील कारखाने बंद कर रहे अपना उत्पादन
नए नियमों की मार ऐसी पड़ी है कि भिस्टार को कारखाने में प्रोडक्शन बंद करना पड़ा है. ये कंपनी अपना कच्चा माल चीन से लेती है लेकिन अब चीनी कच्चे माल पर प्रतिबंध की वजह से भिस्टार उसे नहीं खरीद सकती.
कंपनी फिलहाल सिद्धार्थ चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री और अन्य संबंधित संस्थानों से मदद की अपील कर रही है. भिस्टार ग्लोबल के चीफ अकाउंटेंट अरबिंद त्रिपाठी ने कहा, ‘हम चीन से कच्चा माल आयात करते हैं, नेपाल में प्रोडक्ट बनाते हैं, नेपाली चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (एफएनसीसीआई) से सर्टिफिकेट लेते हैं और फिर उसे नेपाली प्रोडक्ट मानते हैं.’
नए नियम से पहले, भिस्टार हर महीने लगभग 400 टन रसोई के बर्तनों का प्रोडक्शन करता था. अब, निर्यात पर रोक लगने के कारण, घरेलू बाजार के लिए उत्पादन घटकर केवल 20 से 30 टन प्रति माह रह गया है. त्रिपाठी ने बताया कि निर्यात प्रतिबंध के कारण लगभग 200 टन तैयार माल अभी उनके गोदाम में फंसा हुआ है.
भैरहवा कस्टम ऑफिस के प्रमुख राम प्रसाद रेग्मी ने साफ किया है कि ऐसे सामानों का निर्यात लगभग दो महीने से रुका हुआ है. उन्होंने कहा, ‘भारत ने हाल ही में अपने स्टील आयात निगरानी प्रणाली के लिए नया सॉफ्टवेयर स्थापित किया है. नेपाल उस सिस्टम में लिस्टेड नहीं है, जिससे तकनीकी दिक्कतें पैदा हुई हैं.’
रेग्मी ने आगे कहा, ‘नेपाल के फैक्टरी मालिक हमेशा से ही कच्चा माल वहीं से कच्चा माल खरीदते आए हैं जहां से उन्हे सबसे सस्ता मिलता है. अब ऐसा लगता है कि केवल भारत से खरीदे गए कच्चे माल को ही भारत में प्रोडक्ट बनाकर बेचने की इजाजत होगी नहीं तो दिक्कत आएगी हमें.’ उन्होंने कहा कि भारत के नए नियम की वजह से कई कारखानों को बंद करना पड़ सकता है.