नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मेक इन इंडिया और वोकल फॉर लोकल जैसे अभियान का असर अब दिखने लगा है. भारत जल्द ही दुनिया की नई दुकान बन जाएगा. चीन का शटर अब डाउन होने की राह पर है और पूरी दुनिया की निगाहें भारत की ओर उठी हुई हैं. यह दावा दुनिया की सबसे विश्वसनीय रेटिंग एजेंसियों में शुमार जामान के नोमुरा ने किया है. नोमुरा का कहना है कि दुनिया अब चीन के अलावा भी विकल्प खोज रही है, जिसका सबसे ज्यादा फायदा भारत को मिलने वाला है. इससे आने वाले 6 साल में ही भारत का निर्यात दोगुना हो सकता है.
भारत दुनिया के लिए निर्यात का नया हब बन रहा है और इसकी बानगी निर्यात के हालिया आंकड़ों से भी समझ में आती है. नोमुरा ने बताया कि साल 2023 में भारत का कुल निर्यात 431 अरब डॉलर था, जो 2030 तक दोगुना होकर 835 अरब डॉलर (करीब 70 लाख करोड़ रुपये) पहुंच सकता है. इसकी वजह ये है कि दुनिया सप्लाई चेन के लिए चीन के विकल्प के रूप में भारत और वियतनाम की ओर देख रही है.
किस सेक्टर में सबसे ज्यादा संभावना
नोमुरा की मानें तो भारत के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स, कपड़े, खिलौने, ऑटोमोबाइल, उपकरण, कैपिटल गुड्स और सेमीकंडक्टर जैसी चीजों के निर्यात में काफी स्कोप है. विदेशी कंपनियां भी इन सेक्टर्स में निवेश करने को आतुर दिख रही हैं और प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) जैसी योजनाओं से उन्हें आकर्षित करने में मदद भी मिल रही है. भारत में उपभोक्ता बाजार भी काफी बड़ा है, जिससे खपत भी लगातार बढ़ रही है. नोमुरा ने कहा है कि इन सारे फैक्टर्स को देखें तो भारत का निर्यात सालाना 10 फीसदी की दर से बढ़ सकता है. इममें भी इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर 24 फीसदी की दर से ग्रोथ कर रहा है.
2 सेक्टर्स पर सबसे ज्यादा दांव
भारत को 2 सेक्टर्स से ही करीब 143 अरब डॉलर के निर्यात की संभावना दिख रही है. इसमें इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र 2030 तक तीन गुना बढ़कर 83 अरब डॉलर, मशीनरी दोगुना बढ़कर 61 अरब डॉलर पहुंच सकता है. हालांकि इसके लिए सरकार को पीएलआई स्कीम का दायरा और बढ़ाना चाहिए. नोमुरा ने कहा, भारत के पास काफी क्षमता है और अगर सरकार पीएलआई स्कीम पर ज्यादा दांव लगाती है तो निर्यात और उत्पादन बढ़ाने में बड़ी सफलता मिल सकती है. इस तरह ग्लोबल ट्रेड में भारत की हिस्सेदारी भी बढ़कर 2.8 फीसदी पहुंच सकती है.
दुनिया की 130 कंपनियों के सर्वे में खुलासा
नोमुरा ने दुनिया की टॉप 130 कंपनियों के बीच एक सर्वे किया है, जिसमें अधिकतर ने भारत और वियतनाम में अपनी रुचि दिखाई है. भारत में ज्यादातर निवेश अमेरिकी कंपनियों ने करने की बात कही है, खासकर इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर में. जापान और कोरिया भारत के ऑटो, कंज्यूमर ड्यूरेबल और इलेक्ट्रॉनिक्स में निवेश की बात कही है. साथ ही यहां उत्पादन इकाई लगाने की बात भी कही है. नोमुरा का कहना है कि इस कदम से भारत के कॉरपोरेट सेक्टर की कमाई भी आने वाले कुछ साल तक 12 से 17 फीसदी की दर से बढ़ती दिख रही है.