चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अपने सैनिकों से जंग के लिए तैयार रहने को कहा है. साथ ही सेना को और मजबूत बनाने की बात भी कही है. चीन इस समय ताइवान के आसपास, उत्तरी इलाके में और मध्य चीन में तीन स्तर पर बड़े युद्धाभ्यास कर रहा है. इसमें सबसे बड़ी मिलिट्री ड्रिल ताइवान के आसपास है.
आशंका जताई जा रही है कि जिनपिंग के इस बयान के कुछ समय बाद ही ताइवान पर हमले की तैयारी हो सकती है. जिनपिंग ने ताइवान समेत अपने दुश्मन देशों को चेतावनी भी दी. जिनपिंग ने कहा कि चीन की ताकत को कम समझने की कोशिश न की जाए. हम अपने रणनीतिक मुद्दे को हल करने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं.
जिनपिंग ने जो निर्देश पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के जवानों को दिया है, उससे साफ पता लगता है कि चीन ताइवान को लेकर कितना ज्यादा गंभीर है. यह ताइवान के लिए खतरा हो सकता है. बीजिंग और ताइपे के बीच दो साल से विवाद चल रहा है. चीन ताइवान को अपना हिस्सा मानता है. ताइवान खुद को स्वतंत्र देश.
ताइवान के आसपास मिलिट्री ड्रिल
इस हफ्ते चीन के राष्ट्रपति कई मिलिट्री ड्रिल में गए. सैनिकों से मिले. उनके सामने भाषण भी दिया. ताइवान के चारों तरफ इस समय चीन के सैकड़ों युद्धपोत, फाइटर जेट्स और मिसाइल सिस्टम तैनात है. चीन के रक्षा मंत्रालय की माने तो ये सभी मिलिट्री ड्रिल इस हिसाब से तैयार किए गए है, ताकि सैनिकों को ये लगे कि वो सच में ताइवान से जंग लड़ रहे हैं. उनकी तैयारी पूरी है ताकि चीन जब चाहे ताइवान पर हमला करके उसे कब्जा कर सके.
जंग के लिए तैयार रहो… का क्या मतलब?
जिनपिंग चीन की चाइनीज कम्यूनिस्ट पार्टी के प्रमुख हैं. साथ ही सेंट्रल मिलिट्री कमीशन के भी. जिनपिंग लगातार इस बात को कहते आए हैं कि देश की मिलिट्री ताकतवर होनी चाहिए. इसलिए लगातार वो चीन की सेना की ताकत बढ़ाने में लगे रहते हैं. हाल ही में चीन की सेना के बड़े अधिकारियों से मिलते समय उन्होंने कहा कि हमें जंग के लिए तैयार रहना है. ताकत बढ़ानी है. कॉम्बैट कैपेबिलिटी को सुधारना है. बेहतर बनाना है.
जिनपिंग ने कहा कि इस समय दुनिया में जिस तरह का माहौल चल रहा है, ऐसे में हमें सतर्क रहने की जरूरत है. चीन की सेना किसी भी देश की सेना से कमजोर नहीं है. देश की रक्षा के लिए वह किसी भी हद तक जा सकती है. चीन की सेना को लगातार आधुनिक बनाया जाएगा.
जिनपिंग के बयान के क्या है मायने?
जिनपिंग के इन सारे बयानों के तीन मतलब निकलते हैं. पहला ताइवान पर उसकी नजर. दूसरा उत्तर कोरिया की मदद और तीसरा रूस के लिए हथियार भेजना. 1949 से ताइवान स्वतंत्र देश के तौर पर काम कर रहा है. लेकिन चीन मानता है कि ताइवान उससे अलग हुआ प्रांत है. ताइवान के सपोर्ट में अमेरिका खड़ा रहता है. अमेरिका ताइवान को हथियार देता है. ट्रेनिंग देता है. जिसकी वजह से चीन नाराज होता है. इसलिए चीन लगातार ताइवान के आसपास युद्धभ्यास कर रहा है.