नेपाल में राजनीतिक उठापटक और अस्थिरता के बीच आखिरकार चीन की प्रतिक्रिया सामने आई है। बीते कुछ दिनों से नेपाल में तख्तापलट जैसी स्थिति बन चुकी है, जिससे वहां अराजकता और असमंजस का माहौल है। चीन, जिसे नेपाल का पुराना और नजदीकी मित्र माना जाता है, ने इस बार बयान जारी करते हुए सभी पक्षों से शांति बनाए रखने और सामाजिक स्थिरता के लिए काम करने की अपील की है।
चीन ने कहा कि नेपाल के हालात उसके आंतरिक मसले हैं और बीजिंग चाहता है कि वहां की राजनीतिक ताकतें आपसी मतभेद को बातचीत के जरिए हल करें। हालांकि चीन ने अपने पुराने सहयोगी और पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली का नाम लेने से परहेज किया। यह चुप्पी संकेत देती है कि बीजिंग फिलहाल सीधे तौर पर किसी नेता के पक्ष में खड़ा होने से बच रहा है।
नेपाल में सत्ता संघर्ष लंबे समय से चला आ रहा है। हाल ही में घटनाक्रम ने तख्तापलट का रूप ले लिया, जिससे सरकार और विपक्ष के बीच टकराव गहराता जा रहा है। इससे वहां की जनता भी असमंजस और चिंता में है। चीन की ओर से आया बयान साफ तौर पर संकेत देता है कि वह नेपाल की राजनीति में सीधे हस्तक्षेप करने के बजाय स्थिरता और शांति पर जोर देना चाहता है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि चीन की चुप्पी उसके रणनीतिक हितों से जुड़ी है। नेपाल में किसी भी तरह की अस्थिरता बीजिंग के लिए परेशानी का कारण बन सकती है, क्योंकि नेपाल उसके बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव का अहम हिस्सा है। इसके अलावा भारत और चीन दोनों ही नेपाल को अपनी कूटनीतिक रणनीति में अहम मानते हैं।
कुल मिलाकर चीन ने यह स्पष्ट किया है कि वह नेपाल की मौजूदा स्थिति को करीब से देख रहा है, लेकिन किसी भी नेता या गुट के समर्थन में खुलकर सामने नहीं आएगा। उसकी प्राथमिकता फिलहाल यही है कि पड़ोसी देश में शांति और स्थिरता कायम हो।