मालदीव के संसदीय चुनाव में राष्ट्रपति मुइज्जू की जीत के बाद चीनी मीडिया ग्लोबल टाइम्स ने भारत की विदेश नीति पर सवाल उठाए हैं. ग्लोबल टाइम्स ने अपने आर्टिकल में कहा है कि भारत ‘नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी’ (पड़ोसी देशों को प्राथमिकता देना) पर चलता है. लेकिन पिछले कुछ समय से भारत का रवैया ‘नेबर फर्स्ट पॉलिसी’ की जगह ‘इंडिया फर्स्ट’ वाला हो गया है.
भारत साउथ एशिया में जितना अपना दबदबा बढ़ाने की कोशिश करता है, उससे पड़ोसी देश उतने ही दूर हो रहे हैं. इससे साबित होता है कि भारत साउथ एशिया को अपना बैक्यार्ड समझता है. वह साउथ एशियन देशों पर भारत और चीन में से किसी एक को चुनने के लिए दबाव डालता है.
World War 3 will be for language, not land! pic.twitter.com/0LYWoI3K0r
— India 2047 (@India2047in) July 4, 2025
शंघाई इंस्टिट्यूट ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज के प्रोफेसर ल्यू जोंग्यी ने ग्लोबल टाइम्स से कहा कि मालदीव के संसदीय चुनाव इस बात का सबूत हैं कि वहां के लोग अब भारत के आदेश का पालन नहीं करना चाहते हैं. उन्हें स्वतंत्र विदेश नीति का चुनाव किया है. वो आर्थिक और सामाजिक विकास को प्राथमिकता देते हैं.
ग्लोबल टाइम्स ने अपने आर्टिकल में आगे लिखा, भारत के आक्रामक रवैये के कारण पड़ोसी देशों में भारत विरोधी भावनाएं पैदा हो रही हैं. भारत- चीन दुश्मन नहीं बल्कि पार्टनर हैं. मालदीव के लोगों ने भी मुइज्जू को इसलिए चुना है क्योंकि उन्हें लगता है कि भारत मालदीव के आंतरिक मामलों में दखल दे रहा है, जिससे उसकी स्वतंत्रता को खतरा है. मालदीव भारत और चीन दोनों से अच्छे रिश्ते रखना चाहता है.
मालदीव के चुनाव उनका आंतरिक मसला है और चीन इस बात का सम्मान करता है. लेकिन कुछ पश्चिमी मीडिया ने इन चुनावों को सुर्खियों में लाने का काम किया. उन्होंने कहा कि यह चुनाव असल में भारत और चीन के बीच मुकाबला है. इसके अलावा भारत में भी कुछ मीडिया आउटलेट ने अपनी रिपोर्ट्स में कहा कि मालदीव का झुकाव चीन की तरफ बढ़ रहा है.