Stray Dogs issue: सीजेआई बीआर गवई देखेंगे मामला, सुप्रीम कोर्ट की 2 बेंच के फैसलों पर होगा विचार

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में दिल्ली-एनसीआर के आवारा कुत्तों को लेकर अहम फैसला सुनाया. कोर्ट ने कुत्तों को सड़कों से हटाने और शेल्टर होम्स में रखने के लिए कहा. इसी के बाद पूरे देशभर से इसको लेकर रिएक्शन सामने आने लगे हैं. वहीं, कई लोग इसका विरोध कर रहे हैं. इसी के बाद अब सीजेआई सुप्रीम कोर्ट अपनी दो अलग-अलग बेंचों के फैसलों पर विचार करेगा. सीजेआई बी.आर. गवई ने कहा है कि वो इस मामले को देखेंगे.

दरअसल, वकील ननिता ने आज सीजेआई बी.आर. गवई की बेंच के सामने यह मुद्दा उठाया. वकील ननिता पहले ही सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर चुकी हैं, जिसमें एबीसी नियमों (पशु जन्म नियंत्रण) और नसबंदी अभियान के लागू करने में आ रही कमी का जिक्र है. उनका दावा है कि अगर नियमों को कुशलता से लागू किया गया होता तो यह हालात नहीं होते.

दो फैसलों पर कोर्ट करेगा विचार

अब सुप्रीम कोर्ट के दो अलग-अलग बेंचों के दो परस्पर विरोधी फैसले हैं – एक जस्टिस संजय करोल की बेंच का फैसला है जो एबीसी नियमों के कार्यान्वयन का निर्देश देती है और दूसरी बेंच जो कहती है कि सभी कुत्तों को सड़कों से हटाया जाए.

नसबंदी और टीकाकरण के निर्देश की मांग

  1. संगठन ने 2018 में दिल्ली हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी जिसमें अधिकारियों को नियम 3 (3), नियम 5 (ए) और नियम 6 (2) पशु जन्म नियंत्रण (कुत्ते) नियम, 2001 के संदर्भ में नियमित “नसबंदी और टीकाकरण”/टीकाकरण कार्यक्रम करने के लिए निर्देश देने की मांग की थी. समय के नियमित अंतराल पर आवारा कुत्तों के लिए, नियम 7 के खंड 4 के तहत निर्धारित मानवीय तरीकों का इस्तेमाल करके, उनकी आबादी को शामिल करने और उन्हें रेबीज से पीड़ित होने से रोकने के लिए.
  2. अगस्त 2023 में हाईकोर्ट ने अधिकारियों की ओर से उठाए गए कदमों पर संतुष्टि दर्ज करने के बाद, कोई विशिष्ट निर्देश जारी किए बिना जनहित याचिका का निपटारा किया.
  3. हाईकोर्ट के निर्देश को चुनौती देते हुए, एनजीओ ने जुलाई 2024 में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया.
  4. 8 जुलाई, 2024 को जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने विशेष अवकाश याचिका पर नोटिस जारी किया.
  5. आज, याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि 17 सितंबर 2024 को कोर्ट ने एक आदेश दिया था, जिसमें प्रतिवादियों को अपना हलफनामा दाखिल करने के लिए 4 हफ्ते का समय और उसके बाद मामला सूचीबद्ध करने को कहा गया था. लेकिन, अब तक यह मामला सूचीबद्ध नहीं किया गया है.
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