‘देश में गृहयुद्ध भड़काने के लिए CJI संजीव खन्ना जिम्मेदार’, वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पर बोले निशिकांत दुबे

संसद से पारित हुए वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही है. मामले को लेकर राजनीति भी चरम पर है. वक्फ पर कानून बन जाने के बाद भी अभी इसे लागू नहीं किया जा सकता. मामले को लेकर बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने चीफ जस्टिस संजीव खन्ना पर अपना गुस्सा निकाला है. उन्होंने कहा कि देश में छिड़े गृहयुद्धों के लिए संजीव खन्ना जिम्मेदार हैं.

Advertisement

बीजेपी नेता निशिकांत दुबे ने शनिवार (19 अप्रैल) को आरोप लगाया कि देश में धार्मिक युद्धों को भड़काने के लिए सुप्रीम कोर्ट जिम्मेदार है. उन्होंने कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट को कानून बनाना है तो संसद भवन को बंद कर देना चाहिए. दुबे ने मीडिया से बातचीत में कहा, “सुप्रीम कोर्ट का एक ही उद्देश्य है: ‘मुझे चेहरा दिखाओ, मैं तुम्हें कानून दिखाऊंगा.’ सुप्रीम कोर्ट अपनी सीमाओं से परे जा रहा है. अगर हर चीज के लिए सुप्रीम कोर्ट जाना पड़ता है तो संसद और राज्य विधानसभा को बंद कर देना चाहिए.” बीजेपी सांसद दुबे ने कहा, “भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना इस देश में हो रहे सभी गृहयुद्धों के लिए जिम्मेदार हैं.”

मस्जिद के लिए कह रहे हो कि कागज कहां से दिखाओगे’

उन्होंने कहा, “अनुच्छेद 377 था, जिसमें समलैंगिकता को बहुत बड़ा अपराध माना गया था. ट्रंप प्रशासन ने कहा है कि इस दुनिया में केवल दो लिंग हैं, या तो पुरुष या महिला. चाहे वह हिंदू हो, मुस्लिम हो, बौद्ध हो, जैन हो या सिख हो, सभी मानते हैं कि समलैंगिकता एक अपराध है. एक सुबह, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम इस मामले को खत्म करते हैं. अनुच्छेद 141 कहता है कि हम जो कानून बनाते हैं, जो फैसले देते हैं, वे निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक लागू होते हैं. अनुच्छेद 368 कहता है कि संसद को सभी कानून बनाने का अधिकार है और सुप्रीम कोर्ट को कानून की व्याख्या करने का अधिकार है. सुप्रीम कोर्ट राष्ट्रपति और राज्यपाल से पूछ रही है कि वे बताएं कि उन्हें विधेयकों के संबंध में क्या करना है. जब राम मंदिर या कृष्ण जन्मभूमि या ज्ञानवापी की बात आती है, तो आप (SC) कहते हैं ‘हमें कागज दिखाओ’. मुगलों के आने के बाद जो मस्जिद बनी है उनके लिए कह रहे हो कागज कहां से दिखाओगे.”

‘आप देश को अराजकता की ओर ले जाना चाहते हैं’

दुबे ने कहा, “आप नियुक्ति प्राधिकारी को कैसे निर्देश दे सकते हैं? राष्ट्रपति भारत के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति करते हैं. संसद इस देश का कानून बनाती है. आप उस संसद को निर्देश देंगे? आपने नया कानून कैसे बना दिया? किस कानून में लिखा है कि राष्ट्रपति को तीन महीने के भीतर फैसला लेना है? इसका मतलब है कि आप इस देश को अराजकता की ओर ले जाना चाहते हैं. जब संसद बैठेगी तो इस पर विस्तृत चर्चा होगी.”

इससे पहले एक्स पर हिंदी में एक पोस्ट में निशिकांत दुबे ने सुप्रीम कोर्ट की आलोचना करते हुए कहा, “अगर सुप्रीम कोर्ट कानून बनाता है तो संसद भवन को बंद कर देना चाहिए.”

 

Advertisements