मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने सोमवार को इंदौर के पूर्व होलकर राजवंश की शासक देवी अहिल्याबाई को उनके सुशासन और पारमार्थिक कामों के लिए याद किया. इस मौके पर मोहन यादव ने कहा कि उन्होंने मुगलों के राज के दौरान मुश्किल हालात में देश के सांस्कृतिक वैभव का परचम फहराया था.
इंदौर में देवी अहिल्याबाई के जीवन पर आधारित नाट्य प्रस्तुति का गवाह बनने से पहले सीएम ने कहा, ‘‘उन्होंने कठिन काल में सुशासन की अद्भुत मिसाल पेश की थी. हमारी सरकार ने निर्णय लिया है कि हम उनके जीवन के विविध पक्षों को सबके सामने पेश करेंगे.”
मुख्यमंत्री ने देवी अहिल्याबाई को ‘आदर्श शासक’ के साथ ही ‘आदर्श बहू’ बताया और कहा कि उन्होंने ‘खासगी कोष’ की शुरुआत की थी, जिसका इस्तेमाल खासतौर पर परोपकार और नारी सशक्तीकरण के कामों में किया गया था. उन्होंने वाराणसी, अयोध्या, सोमनाथ और रामेश्वरम जैसे हिन्दू तीर्थस्थलों में देवी अहिल्याबाई के कराए परोपकारी कार्यों का हवाला देते हुए कहा, ‘‘तब दिल्ली में मुगलों की सत्ता थी और देवी अहिल्याबाई ने कठिन परिस्थितियों में देश के सांस्कृतिक वैभव का परचम फहराया.”
राजबाड़ा में होगी मंत्रिमंडल की बैठक
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार देवी अहिल्याबाई के 300वें जयंती वर्ष के समापन के अवसर पर होलकर शासकों की राजधानी रहे इंदौर के राजबाड़ा में मंगलवार को मंत्रिमंडल की बैठक आयोजित करने जा रही है. इसके लिए राजबाड़ा को कुछ यूं सजाया गया है कि बैठक के दौरान इसके ऐतिहासिक स्वरूप की झांकी पेश की जा सके.
सीएम ने कहा, ‘‘राजबाड़ा में होने वाली मंत्रिमंडल की बैठक में जनता के हित में अच्छे फैसले किए जाएंगे.’’ मंत्रिमंडल की बैठक की पूर्व संध्या पर सीएम ने देवी अहिल्याबाई के जीवन दर्शन से प्रेरित राज्य शासन की योजनाओं और कार्यों पर आधारित ‘विकास यात्रा प्रदर्शनी’ का उद्घाटन भी किया. आजाद भारत में पहली बार होलकरकालीन राजबाड़ा में प्रदेश के मंत्रिमंडल की बैठक होने जा रही है.
200 साल पहले हुआ था राजबाड़ा महल का निर्माण
राजबाड़ा, पूर्व होलकर शासकों का ऐतिहासिक महल है, जिसका निर्माण लगभग 200 साल पहले हुआ था और यह पर्यटकों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र है. इंदौर की सांस्कृतिक पहचान से जुड़े राजबाड़ा की वास्तुकला फ्रांसीसी, मराठा और मुगल शैली के कई रूपों व वास्तु शैलियों का मिश्रण है. लकड़ी और पत्थर से बनी यह सात मंजिला इमारत शहर के बीचों-बीच स्थित है. पिछले साल 31 मई से देवी अहिल्याबाई का 300वां जयंती वर्ष प्रारंभ हुआ था. तब से उनके सम्मान में देश भर में अलग-अलग कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं.