केरल के ननों की गिरफ्तारी पर सीएम साय का बयान, कानून करेगा अपना काम 

नई दिल्ली: बीते शुक्रवार 25 जुलाई को छत्तीसगढ़ के दुर्ग में मानव तस्करी और जबरन धर्म परिवर्तन के आरोप में केरल की दो कथोलिक नन को दुर्ग से गिरफ्तार किया गया. उनकी गिरफ्तारी और जेल का मुद्दा सियासत की धुरी बन गया है. दुर्ग जेल में बंद नन से लगातार कांग्रेस, लेफ्ट और अन्य राजनीतिक दलों के नेता मुलाकात कर रहे हैं. इस मुद्दे पर विपक्ष सरकार को घेर रहा है. जिस पर सीएम विष्णुदेव साय ने बयान दिया है.

विपक्ष पर सीएम साय का निशाना: दो ननों की गिरफ्तारी को राजनीतिक रंग देने वालों पर सीएम साय ने दिल्ली में बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि मामला अदालत में विचाराधीन है और क़ानून अपना काम करेगा. नन प्रीति मैरी और वंदना फ्रांसिस को रेलवे पुलिस ने सुकमन मंडावी नाम के एक व्यक्ति के साथ 25 जुलाई को छत्तीसगढ़ के दुर्ग रेलवे स्टेशन पर गिरफ्तार किया था. स्थानीय बजरंग दल के एक पदाधिकारी ने उन पर नारायणपुर की तीन लड़कियों का “जबरन धर्म परिवर्तन” और उनकी “तस्करी” करने का आरोप लगाया था.

 

तीन लड़कियों को, जिन्हें नर्सिंग प्रशिक्षण और बाद में नौकरी दिलाने का वादा किया गया था, रेलवे स्टेशन पर नारायणपुर के एक व्यक्ति ने ननों को “सौंप” दिया, जो कथित तौर पर उन्हें आगरा ले जा रही थीं. यह “मानव तस्करी और प्रलोभन के ज़रिए धर्म परिवर्तन” का प्रयास था. यह महिलाओं की सुरक्षा से जुड़ा एक गंभीर मामला है. जांच अभी जारी है. मामला न्यायालय में विचाराधीन है और कानून अपना काम करेगा-

यह बस्तर की बेटियों की सुरक्षा से जुड़ा मुद्दा”: सीएम साय ने कहा कि यह बस्तर की बेटियों की सुरक्षा से जुड़ा मुद्दा है. छत्तीसगढ़ एक शांतिपूर्ण राज्य है. जहां सभी धर्मों और समुदायों के लोग सद्भाव से रहते हैं. यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि बस्तर की हमारी बेटियों की सुरक्षा से जुड़े एक संवेदनशील मुद्दे को राजनीतिक रंग दिया जा रहा है.

लगातार विपक्ष उठा रहा सवाल: 25 जुलाई को दो कैथोलिक ननों की गिरफ्तारी के बाद से विपक्षी दल के नेता इस मुद्दे पर साय सरकार पर हमलावर हैं. विपक्षी दलों ने संसद में ननों की गिरफ़्तारी का मुद्दा उठाया था. आज इस मुद्दे पर बिलासपुर स्थित एक विशेष एनआईए अदालत ने ननों और एक अन्य गिरफ़्तार व्यक्ति द्वारा दायर ज़मानत याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रखा है.

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