रायपुर : छत्तीसगढ़ में पीएससी घोटाले को लेकर राज्य में चल रही छापेमारी पर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने ट्वीट किया है. सीएम साय ने लिखा कि जिन लोगों ने युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया है. अब वह बक्शे नहीं जाएंगे. इससे राज्य की छवि धूमिल हुई है. साथ ही युवाओं का पूरा भविष्य ही खराब किया गया है.
युवाओं को मिलेगा न्याय : सीएम साय ने लिखा कि सुशासन सरकार पीएससी घोटाले की तह तक जाएगी. कोई भी भ्रष्टाचारी नहीं बचेगा. जिन लोगों ने युवाओं के साथ खिलवाड़ किया है, उन युवाओं को न्याय मिलकर रहेगा.
”छत्तीसगढ़ की पिछली कांग्रेस सरकार ने पीएससी जैसी स्वच्छ छवि वाले संस्थान में घोटाला कर उसे बदनाम किया है. प्रदेश के युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया. अब सुशासन की सरकार में घोटाले की तह तक जांच हो रही है ,कोई भी भ्रष्टाचारी नहीं बचेगा, युवाओं को न्याय मिलकर रहेगा.” विष्णुदेव साय,सीएम छग.
किन लोगों के घर पर पड़ा छापा ? : आपको बता दें कि पीएससी घोटाले को लेकर कांग्रेस के दो बड़े नेताओं के घर पर 7 अगस्त को सुबह से छापेमारी चल रही है. जिसमें बिलासपुर के बड़े कांग्रेसी नेता राजेंद्र शुक्ला के घर पर छापामार कार्रवाई की गई हैं. प्राथमिक सूचना के अनुसार बिलासपुर में जिस कांग्रेस नेता के घर छापेमारी चल रही है उनके बेटे और बेटी दोनों 2021 में पीसीएस से अधिकारी बने थे. इसमें गड़बड़ी की आशंका थी, जिसके तहत छापामार कार्रवाई चल रही है.वहीं भिलाई में पूर्व आईएएस के ठिकानों पर सीबीआई फाइलें खंगाल रही है. जबकि धमतरी में सीजीपीएससी के पूर्व अध्यक्ष टामन सिंह सोनवानी के घर पर रेड पड़ी है.
सीजीपीएससी चर्चा में क्यों: आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने कथित भर्ती घोटाले को लेकर धमतरी, बिलासपुर, दुर्ग और रायपुर जिलों में एक दर्जन से अधिक स्थानों पर तलाशी शुरू की. पिछले महीने सीबीआई ने 2020-2022 के दौरान छत्तीसगढ़ पीएससी के माध्यम से डिप्टी कलेक्टरों, पुलिस उपाधीक्षकों और अन्य वरिष्ठ सरकारी पदों के चयन में कथित पक्षपात के लिए राज्य में दर्ज दो मामलों की जांच अपने हाथ में ली थी. दोनों मामलों के अनुसार, तत्कालीन सीजीपीएससी अध्यक्ष टामन सिंह सोनवानी, पूर्व सचिव जीवन किशोर ध्रुव, तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक और कई लोक सेवकों और राजनेताओं ने अपने बच्चों, रिश्तेदारों और परिचितों को भर्ती कराने के लिए अपने पदों का दुरुपयोग किया.
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और अन्य शीर्ष बीजेपी नेताओं ने पिछले साल विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान कथित भर्ती घोटाले को लेकर तत्कालीन सत्तारूढ़ कांग्रेस पर निशाना साधा था,साथ ही साथ सत्ता में आने के बाद जांच कराने का वादा किया था.