उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बस्ती जिले में विद्या भारती के सरस्वती विद्या मंदिर के नए प्रकल्प का शिलान्यास करते हुए युवाओं को महत्वपूर्ण संदेश दिया। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया का दुरुपयोग समाज में जाति और धर्म के आधार पर विभाजन कर रहा है। यह स्थिति बेहद खतरनाक है और इससे युवाओं को बचना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षा का वास्तविक उद्देश्य मुक्ति का मार्ग प्रशस्त करना है। उन्होंने सरस्वती शिशु मंदिरों की भूमिका की सराहना करते हुए कहा कि आजादी के बाद नाना जी देशमुख के नेतृत्व में शुरू हुए छोटे प्रयास आज हजारों शिक्षकों और छात्रों के जरिए राष्ट्र निर्माण में अहम योगदान दे रहे हैं। योगी ने स्पष्ट किया कि शिक्षा तभी सार्थक है जब उसमें संस्कार और राष्ट्र के प्रति समर्पण हो।
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “विकसित भारत” के विजन और “पंच प्रण” का उल्लेख करते हुए कहा कि यह आने वाली पीढ़ियों के लिए एक सशक्त योजना है। उन्होंने कहा कि सरस्वती विद्या मंदिर जैसे संस्थान से निकले छात्र समाज को नई दिशा दे रहे हैं।
अपने संबोधन में योगी आदित्यनाथ ने श्यामा प्रसाद मुखर्जी, प्रभु राम, भगवान कृष्ण और राजा सुहेलदेव का उदाहरण देते हुए कहा कि हमें अपनी संस्कृति और परंपरा पर गर्व करना चाहिए। गुलामी की मानसिकता से बाहर निकलना होगा और स्वदेशी वस्तुओं को अपनाना होगा।
मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया के नकारात्मक प्रभावों पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि तस्वीरों में छेड़छाड़ और साइबर फ्रॉड जैसी घटनाएं बढ़ रही हैं, जिससे लोग बड़ी हानि झेल रहे हैं। इस समस्या से निपटने के लिए प्रदेश के हर जिले में साइबर थाने स्थापित किए गए हैं।
उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे डिजिटल मीडिया का सीमित उपयोग करें, प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी पर ध्यान दें और सरल जीवनशैली अपनाएं। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि यदि युवा अपनी ऊर्जा सही दिशा में लगाएं तो वे न केवल अपने परिवार बल्कि समाज और राष्ट्र के लिए भी प्रेरणा बन सकते हैं।