झाड़फूंक कराने के बजाये अस्पतालों में स्वास्थ्य लाभ पाने के लिए लोगों को सलाह देने वाला स्वास्थ्य विभाग यदि स्वयं झाड़ फूंक करवाने लगे तो इसे क्या कहा जा सकता है.
जी हां ऐसा ही एक मामला सामने आया है, जिसमें जिला चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने मनमानी करते हुए सीएमएचओ कार्यालय में ही किसी बाबा से ताबीज बंधवा डाला.सवाल यह है कि यदि झाड़ फूंक तंत्र मंत्र से बीमारियों का उपचार होने लगे तो कराड़ों रूपये खर्च कर अस्पताल बनवाने की क्या आवश्यकता है.
जिले के अंदरूनी इलाकों में आज भी स्वारस्थ्य सेवाओं का बेहद अभाव है. अस्पतालों में जो डॉक्टर व स्टाफ तैनात हैं वे भी मरीजों का उपचार नहीं करते ऐसे में लोगों का झाड़ फूंक का सहारा लेना भी मजबूरी है.
बता दें कि तीन दिनों पूर्व ही कोयलीबेड़ा अस्पताल में उपचार के अभाव में एक बालक की मौत हो गयी. परिजन जब बच्चे को उपचार कराने अस्पताल ले गये तो वहां पदस्थ एकमात्र डॉक्टर भी नशे से धुत्त मिला था. अंदरूनी क्षेत्रों में चिकित्सा स्टाफ की लापरवाही के ऐसे ढेरों मामले सामने आ चुके हैं.
जिले को मेडिकल कॉलेज की सौगात मिली है, लेकिन आज भी जिला अस्पताल सह मेडिकल कॉलेज रेफर सेंटर के नाम से ही जाना जाता है, क्योंकि ट्रामा केयर आईसीयू जैसे महत्वपूर्ण सेवाएं अभी तक अधर में हैं. जिले के स्वास्थ्य विभाग में सबसे बड़े अधिकारी सीएमएचओ डॉ अविनाश खरे ने चेंबर के सामने ही तंत्र साधना में उपयोग किये जाने वाले धागे के साथ ताबीज भी बंधवाया है.
सीएमएचो डॉ खरे जिले में पदस्थापना के साथ ही विवादों को लेकर सुर्खियों में हैं.
आम लोगों को बीमारियों के उपचार के लिए तंत्र मंत्र करवाते तो देखा व सुना जाता रहा है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग का सबसे बड़ा अधिकारी ही यदि अंधश्रद्धा को बढ़ावा देते देखा जा रहा है. यहां तंत्र-मंत्र वाले धागे के साथ ताबीज तीन दिनों पहले से बंधा देखा जा रहा है.
इस संबंध मे सीएमएचओ डॉ खरे से जानकारी चाही गयी तो उन्होंने स्वयं किसी भी तरह के तंत्र मंत्र वाले धागे या ताबीज बांधने की बात से साफ इंकार कर दिया. सीएमएचओ दफ्तर में सीसीटीवी कैमरा भी लगा है, जिससे यहां ताबीज बांधने की घटना को देखा जा सकता है.