राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने कोयंबटूर कार बम विस्फोट मामले से जुड़े कट्टरपंथीकरण और आतंकी भर्ती नेटवर्क का पर्दाफाश करते हुए बुधवार को चार और आरोपियों को गिरफ्तार किया है. गिरफ्तार आरोपियों की पहचान अहमद अली, जवाहर सातिक, राजा अब्दुल्ला उर्फ एमएसी राजा और शेख दाऊद के रूप में हुई है. अब तक इस मामले में कुल आठ लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है.
एनआईए के मुताबिक, ये गिरफ्तारियां उस व्यापक साजिश का हिस्सा हैं, जिसके तहत तमिलनाडु के युवाओं को कट्टरपंथी विचारधारा में ढालकर आतंकी गतिविधियों के लिए प्रेरित किया जा रहा था.
जांच एजेंसी ने बताया कि इन आरोपियों को मद्रास अरबी कॉलेज के संस्थापक जमील बाशा द्वारा कट्टरपंथी बनाया गया था. बाशा, जो पहले ही इस मामले में गिरफ्तार किया जा चुका है, कथित रूप से अरबी भाषा की कक्षाओं की आड़ में सलाफी-जिहादी विचारधारा का प्रचार कर रहा था.
अक्टूबर 2022 में मंदिर के पास हुआ था धमाका
एनआईए के अनुसार, जमील बाशा और उसके साथियों इरशाद, सैयद अब्दुर रहमान और मोहम्मद हुसैन ने धार्मिक शिक्षा और सोशल मीडिया के माध्यम से युवाओं में इस्लामिक कट्टरपंथ को बढ़ावा देने का काम किया. उनका उद्देश्य “जिहाद के माध्यम से खिलाफत की स्थापना” और लोकतांत्रिक सरकार को हिंसक तरीके से हटाकर इस्लामिक शासन लागू करना था.
जांच एजेंसी ने यह भी खुलासा किया कि इसी नेटवर्क के कट्टरपंथीकरण प्रयासों के कारण अक्टूबर 2022 में कोयंबटूर कार बम विस्फोट की घटना हुई थी. इस हमले में आत्मघाती हमलावर जमीशा मुबीन ने एक वाहन में विस्फोटक रखकर शहर के एक प्राचीन मंदिर के पास धमाका किया था. हालांकि, इस घटना में व्यापक जानमाल की क्षति नहीं हुई, लेकिन इसे देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरे के रूप में देखा गया.
जिहाद के नाम पर गुमराह करने का आरोप
एनआईए की जांच से यह भी सामने आया है कि इन आरोपियों ने युवाओं को गुमराह कर हिंसक विचारधारा की ओर मोड़ने की सुनियोजित साजिश रची थी. इस प्रक्रिया में अरबी भाषा की पढ़ाई को माध्यम बनाकर धार्मिक उन्माद फैलाया गया और सोशल मीडिया के जरिए जिहादी सामग्री का प्रचार किया गया.
एनआईए ने कहा है कि यह मामला भारत के खिलाफ कट्टरपंथी आतंकी विचारधारा को फैलाने की साजिश का हिस्सा है और एजेंसी इस संबंध में RC-01/2023/NIA/CHE (तमिलनाडु ISIS कट्टरपंथीकरण और भर्ती मामला) के तहत अपनी जांच को आगे बढ़ा रही है. एजेंसी ने यह भी संकेत दिया है कि आने वाले दिनों में और गिरफ्तारियां संभव हैं.
तमिलनाडु पुलिस और खुफिया एजेंसियों के सहयोग से चल रही इस जांच को राज्य में आतंकी नेटवर्क के खिलाफ एक अहम कदम माना जा रहा है. एनआईए का कहना है कि उनका लक्ष्य देश के युवाओं को आतंकी संगठनों के चंगुल से बचाना और ऐसे नेटवर्क को पूरी तरह से खत्म करना है.