हिमाचल प्रदेश सरकार ने कोल्ड्रिफ कफ सिरप को राज्य में प्रतिबंधित कर दिया है। यह फैसला तमिलनाडु की कंपनी द्वारा निर्मित कफ सिरप में डायएथिलीन ग्लाइकोल की अत्यधिक मात्रा मिलने के मध्य प्रदेश के नमूनों के बाद लिया गया। अब हिमाचल में इस सिरप को लिखने, बेचने और उपयोग करने पर पूरी तरह पाबंदी है।
हिमाचल के बद्दी इंडस्ट्रियल एरिया में Aquinova कंपनी द्वारा निर्मित Nastro-DS सिरप के उत्पादन और बिक्री को भी एहतियातन रोकने के निर्देश दिए गए हैं। हालांकि, अभी तक हिमाचल सरकार के ड्रग विभाग को यह पुष्टि नहीं मिली कि Nastro-DS में हानिकारक तत्व मौजूद हैं। इसलिए फिलहाल केवल उत्पादन पर रोक लगाई गई है और कंपनी ने भी अंतिम रिपोर्ट आने तक सप्लाई रोकने का आश्वासन दिया है।
कर्नाटक में भी इस मामले को लेकर अलर्ट जारी किया गया है। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री दिनेश गुंडू राव ने बताया कि मध्य प्रदेश और राजस्थान में बच्चों की मौत की खबरों के बाद सावधानी बरतने के लिए चेतावनी जारी की गई है। उन्होंने अभिभावकों से अपील की कि पांच साल से कम उम्र के बच्चों को कोई भी सिरप देते समय विशेष सतर्कता बरतें। उन्होंने स्पष्ट किया कि अब तक किसी भी हानिकारक कफ सिरप की सप्लाई कर्नाटक में नहीं हुई है।
साथ ही, कर्नाटक में सभी ब्रांड के कफ सिरप के सैंपल लेकर जांच की जा रही है। राज्य का औषधि नियंत्रण विभाग इस मामले में एहतियात बरत रहा है और गुणवत्ता जांच को प्राथमिकता दे रहा है। अधिकारियों को पहले ही निर्देश दिए गए हैं कि राज्य में कौन-सा उत्पाद बेचा गया है, इसकी पुष्टि की जाए।
हिमाचल और कर्नाटक दोनों ही राज्य इस तरह के मामले में बच्चों की सुरक्षा और स्वास्थ्य पर जोर दे रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इस प्रकार के सिरप के सेवन से बच्चों में गंभीर स्वास्थ्य जोखिम हो सकता है। इसलिए सरकारें एहतियात के रूप में प्रतिबंध और जांच प्रक्रिया को सख्ती से लागू कर रही हैं।
इस कदम से न केवल हिमाचल और कर्नाटक में बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी, बल्कि अन्य राज्यों के लिए भी चेतावनी के रूप में काम करेगा कि हानिकारक दवाओं की सप्लाई और उपयोग पर कड़ी निगरानी आवश्यक है।